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________________ २२. निपेक्ष ७७१ ६. निक्षेपो का नयो मे अन्तर्भाव व्यवहार संग्रह व व्यवहार नय का ही विषय है जो द्रव्यार्थिक है । यह दोनों नये नैगम नय के ही अग है अत. द्रव्य निक्षेप का अन्तर्भाव नैगम, संग्रहण व व्यवहार तीनो मे किया जा सकता है। इतना होते हुए भी द्रव्य पर्याय की अपेक्षा यह स्थूल ऋजसूत्र का भी विषय कहा जा सकता है । द्रव्य पर्याय मे भी काल भेद अथवा जीव शरीर भे रूप द्वैत देखा जाता है । इस द्रव्य पर्याय को द्रव्य निक्षेप विषय करता है, इसलिये इसे पर्यायार्थिक कहने मे भी कोई निरोध नही है। ४. भाव निक्षेप भाव निक्षेप पयायार्थिक रूप है, क्योकि एक समय की पाय से परिणत द्रव्य का ही इस मे ग्रहण होता है, बिल्कुल उस प्रकार जिस प्रकार कि एव भूत नय मे । अत भाव निक्षेप का अन्तर्भाव एवभूत नय मे होता है । फिर भी स्थूल ऋजुसूत्र की विषय भूत स्थूल व्यञ्जन पर्याय से उपलक्षित द्रव्य कथञ्चित द्रव्य स्वीकारा गया है। और भाव निक्षेप उसे विषय करता है । इसलिये इसे द्रव्यार्थिक मानने में भी कोई विरोध नही। मंक्षिप्त रूप से इन चारों का नयों के साथ सम्बन्ध निम्न चार्ट पर से पढा जा सकता है । -००
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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