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________________ २२. निक्षेप ६. द्रव्य निक्षेप ४. ज्ञायक शरीर नो आगम द्रव्य निक्षेप१. पू. पाप. २१।२२ "ज्ञायक शरीर को आगम द्रव्य मगल भी तीन प्रकार का समझना चाहिये । मगल विषयक शास्त्र का अथवा केवल ज्ञानादि रूप मगल पर्याय का (वर्तमान मे) आधार होने से भावि शरीर, वर्तमान शरीर, और अतीत शरीर, इस प्रकार ज्ञायक शरीर नो आगम द्रव्य निक्षेप के तीन भेद हो जाते है ।" क्रमश-२. ध.पू.१।पृ. २२।२६ "उन मे अतीत शरीर के तीन भेद हैं-च्युत च्यावित व त्यक्त । च्युत. कदलीघात मरण के बिना कर्म के उदय से झड़ने वाले आयुकर्म के क्षय से पके हुए फल के समान अपने आप पतित शरीर को च्युत शरीर कहते है। ___ च्यावितः कदलीघात के द्वारा आयु के छिन्न हो जाने से छुटे हुए शरीर को च्यावित शरीर कहते है । त्यक्तः त्यक्त शरीर तीन प्रकार का होता है-प्रायोपगमन विधान से छोड़ा गया, इगिनी विधान से छोडा गया और भक्त प्रत्याख्यान विधान से छोड़ा गया। इस प्रकार इन निमित्तो से त्यक्त शरीर के तीन भेद हो जाते है।" ___ क्रमश-ध.पू.१।पृ.२३।१५ “प्रायोपगमन---अपने और पर के उप कार की अपेक्षा रहित समाधि-मरण को प्रायोपगमन विधान कहते हैं ।"... इगिनी-जिस सन्यास मे अपने द्वारा किये गये उपकार की अपेक्षा रहती है, किन्तु दूसरे के द्वारा किये गये उपकार की अपेक्षा सर्वथा नही रहती उसे इगिनी समाधि कहते है।...
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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