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________________ २१ अन्य अनेको नय ७३५ २. सर्व नयो का मूल नयो मे अन्तर्भाव पर द्रव्य को कार्य की सिद्धि मे कारण मानने के कारण यह लक्षण आगम पद्धति का विषय नही । अध्यात्म पद्धति मे यह 'अनुपचरित असद्भुत व्यवहार' नय मे गर्भित होता है । ३४ ईश्वर नय "आत्मद्रव्य ईश्वर नय से परतन्त्रता भोगने वाला है- धाय के आधीन खानपान आदि क्रिया करते हुए पथी बालक की भाति ।" पर पदार्थ का आश्रय दर्शाने के कारण यह लक्षण भी आगम पद्धति का विषय नही । अध्यात्म पद्धति मे यह 'असदभुत व्यवहार' नय का विषय है। वाला ह-हरण. ३५ अनश्विर नय:___ 'आत्मद्रव्य अनश्विर नय से स्वतंत्रता भोगने - - - को स्वच्छन्दता से फाड़ कर खाने वाले निज भावो मे ही कर्ता- ल सिह की भाँति ।” द्रव्य क --- कम रूप द्वैत दर्शाने के कारण यह लक्षण मागम पद्धति के 'स्व चतुष्टय ग्राहक शुध्द द्रब्यार्थिक व संग्रह' नय में तथा अध्यात्म पद्धति के 'निश्चय नय सामान्य' मे गर्भित होता है। ३६ गुणी नयः “आत्मद्रव्य गुणी नय से गुणग्राही है-शिक्षक के द्वारा जिसको शिक्षा देने मे आती है ऐसे कुमार की भांति । " एक द्रव्य के गुण को दूसरे मे उपचार होने के कारण यह लक्षण आगम पद्धति का विषय नही । अध्यात्म पद्धति मे यह 'असदूभूत ब्यवहार' नय मे गर्भित होता है। ३७ अगुणी नय-- ''आत्मद्रव्य अगुणी नय से केवल साक्षी ही है-शिक्षक के द्वारा शिक्षण प्राप्त करनेवाले कुमार के प्रेक्षक अर्थात देखनेवाले की भाति ।"
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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