SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 761
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१ अन्य अनेको नय १५ भाव नयः 'अशुध्द द्रव्यार्थिक व भूतभावि नैगम' नय में तथा अध्यात्म पद्धति के निश्चय नय' सामान्य मे गर्भित होता है । द्रव्य पर्याय का ग्रहण करने के कारण कथञ्चित पर्यायार्थिक नय व स्थूल ऋजु सूत्र' मे भी गर्भित किया जा सकता है । (देखो अध्याय न० २२ प्रकरण न०८) — ७३० २. सर्व नयो का मूल नयो मे प्रन्तर्भाव "आत्मद्रव्य भावनय से पुरुष के समान प्रवर्तती स्त्री की भाति, तत्काल की पर्याय रूप से उल्लसित प्रकाशित व प्रतिभासित होता है । " किसी एक पर्याय विशेषसे तन्मयद्रव्य की उतनी ही सत्ता देखने के कारण यह लक्षण आगम पद्धति के 'पर्यायार्थिक व एवंभूत' नय मे तथा अध्यात्म पद्धति के 'अशुद्ध निश्चय नय' मे गर्भित होता है । द्रव्य पर्याय को विषय करने की अपेक्षा आगम पद्धति के 'अशुद्ध द्रव्यार्थिक व अशुध्द संग्रह' मे भी गर्भित किया जा सकता है । ( देखो अध्याय न० २२ प्रकरण न० ८ ) १७ विशेष नयः १६ सामान्य नयः “आत्मद्रव्य सामान्य नय से हार, माला या कण्ठी के डोरे की भाति व्यापक है ।” अनेक पर्यायो मे अनुस्यूत एक त्रिकाली द्रव्य को विपय करने के कारण यह लक्षण आगम पद्धति के 'शुध्द द्रव्यार्थिक व संग्रह ' नय मे तथा अध्यात्म पद्धति के 'शुध्द निश्चय' नय मे गभित होता है । - " आत्मद्रव्य विशेष नय से उस माला के एक मोती की भाति अव्यापक है ।” पृथक पृथक पर्यायो की स्वतंत्र सत्ता स्वीकारने के कारण यह लक्षण आगम पद्धति के 'पर्यायार्थिक व ऋजुसुत्र' नय मे तथा अध्यात्म पद्धति के 'व्यवहार नय' मे गर्भित होता है ।
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy