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________________ ५७६ - १७ पर्यायार्थिक नय ५ पर्यायार्थिक नय समन्वय ३ प्रश्न -स्वभाव अनित्य शुद्ध पर्यायार्थिक नय व स्वभाव अनित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक नय मे क्या अन्तर है ? उत्तर -स्वभाव अनित्य शुद्ध पर्यायार्थिक नय तो वस्तु सामान्य के त्रिकाली परिणमन स्वभाव को दर्शाता है, जिस की धारा कि एक क्षण को भी कभी भग होने नही पाती, और स्वभाव अनित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक नय उस वस्तु की किसी एक क्षणिक पर्याय के परिणमन स्वभाव को दर्शाता है। अनादि से अनन्त काल तक प्रतिक्षण वस्तु मे पर्यायो का उत्पाद व्यय होते रहना तो उसका परिणमन स्वभाव है, और एक पृथक पर्याय का उत्पाद, उसी की एक समय स्थिति और तत्पश्चात उसी का व्यय यह पर्याय का परिणमन स्वभाव है । ४ प्रश्न -त्रिकाली स्वभाव को ग्रहण करने के कारण स्वभाव अनित्य शुद्ध पर्यायाथिक का अन्तर्भाव द्रव्यार्थिक मे हो जायेगा? उत्तर-नही, क्योकि पर्यायार्थिक का विपय वस्तु को पर्यायो का निरन्तर पना है, कोई एक सामान्य तत्व नही, तथा इसके विपरीत द्रव्यार्थिक नय का विषय उस पर्याय सन्तति मे अनुस्यूत एक सामान्य तत्व है, वे पर्याय नही। उदाहरणार्थ एक माला लीजिये, जिसमे अनेक मोतियो की पक्ति एक डोरे मे पिरो कर एक बनादी गई है । तहा माला तो द्रव्य है, मोतियो की पक्ति उसकी त्रिकाल पर्याय सतति है, और डोरा उन पर्यायो मे अनुस्यूत सामान्य तत्व है । पर्यायार्थिक का विषय यहा मोतियो की पक्ति है और द्रव्यार्थिक का विषय उन मोतियो की
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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