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________________ १५. शब्दादि तीन नय ४४६ १२. तीनो का समन्वय ४ प्रश्न -समभिरूढ नय व एवंभूत नय मे क्या अन्तर है ? उत्तर - विषय व शब्द दोनों की अपेक्षा ही इनमें वडा अन्तर (i) समभिरूढ नय का विषय क्रिया निरपेक्ष लम्बी व्यञ्जन पर्याय है और एवंभूत का विषय क्रिया सापेक्ष क्षणिक व्यञ्जन पर्याय है । अर्थात भिन्न भिन्न समयों में भिन्न भिन्न क्रिया करती हुई भी वह व्यञ्जन पर्याय भूत वस्तु समभिरूढ की दृष्टि मे तो एक ही बनी रहती है, परन्तु एवभूत की दृष्टि में तो क्रिया के साथ साथ वस्तु भी भिन्न भिन्न दीखने लगती है । अर्थात समभिरूढ नय अनेक क्रियाओ मे एकत्व देखता है और एवभूत नय अनेक क्रियाओं में अनेकत्व देखकर केवल एक समय वर्ती क्रिया से समवेत एक वस्तु को ही विषय करता है। (1) समभिरूढ़ नय मे एक वस्तु मे अनेको क्रियाओं की सभावना होने के कारण एक वस्तु के अनेक अन्वर्थक नाम सम्भव है, परन्तु एवभूत नय में एक ही क्रिया होने के कारण उसका एक ही नाम सम्भव है ? ५ शंका -- शब्द का अर्थ के साथ कोई सम्बन्ध नही, क्योकि वह वस्तु का धर्म नहीं है तो फिर वह अर्थ का व वस्तु का वाचक कैसे हो सकता है, तथा शब्द के दोप से वस्तु कंसे दूषित हो सकती है। (इस प्रश्न का उत्तर क. पा.पाह १९८२३८। क पा. १ ह २१५।२१६॥ २६५।२६६ तथा १६.१७६७ मे निन्म प्रकार दिया है। , उत्तर-"जैसे प्रमाण ज्ञान व अर्थ का कोई सम्बन्ध न होने पर भी वह अर्थ को ग्रहण कर लेता है, वैसे शब्द का अर्थ के
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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