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________________ दिनांक २६-६-६० प्रवचन न. २ शब्द व ज्ञान सम्बन्ध १. पढने का प्रयोजन, शाति २. प्रत्यक्ष व परोक्ष ज्ञान, ३. प्रतिबिम्ब व चित्रण, ४. शब्द की असता, ५. वस्तु को खडित करके प्रतिपादन की पद्धति । १. सम्पूर्ण पक्षों से अतीत हे सरलता के प्रतीक ! पक्षो की आग में जलते हुए इस तृण पर अब दया कीजिये इसको पढने का भी सरलता प्रदान कीजिये । सरलता आ सकनी कैसे प्रयोजन संभव है, इसके लिये मुझे यह विचारना है कि पक्षपात की यह दाह कहां बैठी हुई है ? उत्तर स्पष्ट है, कि ज्ञान मे, जैसे कि पहिले बता दिया गया है, पक्षपात का कारण अधूरी बात का जानना है । अधूरी बात जानने से अच्छा तो बिल्कुल न जानना शाति 1 ही है । क्योंकि विल्कुल न जानने वाले जल्दी पढ़ जाते हैं, परन्तु अधूरा जानने वाले बजाय पढने के विरोध उत्पन्न करके अपना व दूसरे का अहित कर बैठते है । स्कूल में पढ़ने वाला एक बालक क्योकि कुछ नही
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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