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________________ २५१ १२. नैगम नय ३. भूत वंतमान व __ भावि नैगन नय दिन भगवान वीर को निर्वाण हुआ है' ऐसा भी कदाचित कहने मे आ सकता है। वास्तव मे तो निर्वाण आज नही हुआ है वल्कि पहिले हुआ था, फिर भी 'हुआ है' ऐसा वर्तमान कालीन प्रयोग प्रयोजन वश किया जा सकता है । दीवार पर खिचा हुआ भगवान वीर के पूर्व भव का चित्र दिखाते हुए आप अनेको बार यह कहते सुने जाते हो कि, 'देखो, पहिचानते हो यह कौन है ? यह भगवान वीर है।' यह बात सुनकर किसी अनभिज्ञ को यह सन्देह हो सकता है कि, 'क्या भगवान बीर इसी भील का नाम है ? यदि ऐसा है तो आज से उनकी पूजा कर ना बन्द कर देता हूं।'परन्तु ऐसा संशय करना योग्य नहीं, और न ही होना सम्भव है यदि भूत नैगम नय के प्रयोजन सें परिचय हो तो। यद्यपि वाक्य मे भूत कालीन क्रिया का प्रयोग न करके वर्तमान कालीन क्रिया का प्रयोग किया है, पर इसका अर्थ यही है कि यह भगवान वीर का बीता हुआ जीवन है वर्तमान का नही । इस भूत कालीन जीवन या चित्रण को दशाने का प्रयोजन यही है कि प्राणियो मे पड़ी पामरता दूर हो जाये और वह यह समझने लगे, कि जब वह ऐसी निकृष्ट अवस्था को उल्लवन करके भगवान बन गये तो मै क्यो न वन सकूगा । ऐसा प्रयोजन पकड लिया जाये तो भगवान की वर्तमान मे ससारी या अपराधी बताना भी अनुचित न होगा, परन्तु इस प्रयोजन को पकड़े विना तो उपरोक्त वाक्य वोलना महान अनर्थ का कारण बन जायेगा, क्योकि वास्तव मे भगवान वर्तमान मे अपराधी नही है । इस प्रकार भूत कालीन पर्याय मे वर्तमान का संकल्प करना भत नैगम नय का लक्षण है। उदाहरण ऊपर कहे जा चुके । अब इस लक्षण की पुष्टि व अभ्यास के अर्थ कुछ आगम कथित उद्धरण देने मे आते है।
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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