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________________ १० मुख्य गौण व्यवस्था २०६ ३ किस को मुख्य किया जाये १. किसी अनिष्पन्न शिष्य को, अपरिचित वस्तु का वचनो द्वारा परिचय देते समय । २. किसी ज्ञानी या निष्पन्न व्यक्ति द्वारा परीक्षार्थ द्रव्य के वास्तविक स्वरूप के सम्बन्ध मे प्रश्न किया जाने पर उसका उत्तर देते समय, या उस प्रश्न के सम्बन्ध मे विचार करते समय । ३. किसी वस्तु की विशेषताओ को पूछते या विचार करते समय। इन तीनों मे पहिला विकल्प वक्ता सम्बन्धी है, दूसरा विकल्प श्रोता सम्बन्धी है, तीसरा विकल्प किसी भी विचारज्ञ सम्बन्धी है । इन तीनों के दृष्टान्त दिये जाते है । जरा विचार करना और पता चल जायेगा, कि तीनो मे किस अवसर पर विशेषण को मुख्य किया जाता है और किस अवसर पर विशेष्य को। पहिले विकल्प का दृष्टान्त तो दिया जा चुका है। जिस पर से यह जाना जाता है कि अनिष्पन्न श्रोता को समझाने के लिये वक्ता को सर्वदा, विशेषण को ही मुख्य करके कहना पड़ेगा विशेष को मुख्य करके नहीं, क्योंकि विशेष को मुख्य करके कहा ही नही जा सकता । अर्थात पहिले विकल्प मे सदा विशेषण मुख्य व विशेष्य गौण होते है। अव दूसरे विकल्प सम्बन्धी दृष्टान्त सुनिये उस पहिले ही दृष्टात से आगे का क्रम विचारिये । वहा श्रोता को समझाकर आपने छोड दिया था । यहां उसकी परीक्षा लेनी अभीष्ट है, कि आपके इतने वचन पर से वह आपका अभिप्राय समझ भी पाया है या नही। ऐसा न हो कि वैसे ही हां मे हां मिला रह हो, और आपका परिश्रम विफल जा रहा हो आओ श्रोता से प्रश्न करे ।
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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