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________________ ६.द्रव्य सामान्य ५. सामान्य व विशेष तत्व परिचय भाग प्राप्त हो जिसका आगे विभाग किया जाना सभव न हो, उसे एक 'समय' कहते है । यह छोटे से छोटा काल है। इससे कालका परिमाण जाना जाता है । इसी प्रकार किसी गुण की शक्ति का कल्पना द्वारा विभाजन करते जाने पर उसका जो अन्तिम भाग प्राप्त हो, जिसका पुनः विभाग किया जाना सम्भव न हो, उसे एक 'अविभाग प्रतिच्छेद' कहते हैं । यह सब से छोटे भाव है । इसके द्वारा गुण या ' भाव की शक्ति का परिमाण जाना जाता है ।। परमाणु द्रव्य का यूनिट है, प्रदेश क्षेत्र का यूनिट है, समय कालका यूनिट है और अविभाग प्रतिच्छेद भावका यूनिट है, इन के । द्वारा उस उस की हानि वृद्धि का प्रमाण मापा जाता है । इस प्रकार द्रव्य गुण व पर्याय इन तीनो को चतुष्टय मे गभित कर दिया गया आगे आगे के प्रकरणो मे इसी चतुष्टय के आधार पर वस्तु का या नयों का कथन किया जायेगा, अतः इनको दृढतः हृदयगम कर लेना योग्य है। द्रव्य क्षेत्र काल व भाव इस चतुष्टय रूप से वस्तु का विभाजन ५. सामान्य व कर दिया गया । अब इन चारो मे सामान्य व विशेष विषेय तत्व भाव रूप द्वैत दर्शाता हूं। जिस विकल्प मे अन्य भेद परिचय सम्भव न हो उसे विशेष कहते है, और इस प्रकार के अनेक विशेषों मे अनुगत कोई एक अखण्ड भाव सामान्य शब्द का वाच्य है अर्थात् जिसके अन्तर्गत अनेकों विशेष या भेद देखे जा सकें उसे सामान्य कहते है। — सत् की अपेक्षा समस्त जड व चेतन द्रव्यों का समूह रूप सर्व व्यापी यह अखण्ड विश्व सामान्य सत् है । क्योंकि इसके अन्तर्गत जीव अजीव आदि अनेकों अन्य द्रव्य जातिये पाई जाती है । इसे महा सत्ता भी कहते है । अन्तर्गत भेद स्वरूप जीव अजीव द्रव्य जातिये इस के
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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