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________________ ३३६ मेरी जीवन गाथा बहुत दुःख हुआ । द्वितीय दिन श्रीराजकृष्णजीके यहाँ भोजन हुआ ! श्री जैनेन्द्रकिशोरजी ने अनारका रस दिया । २ दिनके बाद श्राज पारणा हुआ । लोगोंको अत्यन्त आनन्द हुआ । इसी समय श्रीछोटेलालजी (कलकत्ता) ने १०००) विद्यादानमे अर्पित किये, जिनमे मैंने विद्यालयको ६०० ) विधवाश्रमको ३००) और उदासीनाश्रमको १००) दिला दिये । श्रीमुंशीलालजी देहलीवालोंने एक लाख रूपया समन्तभद्र विद्यालयको दिया । यह विद्यालय दिल्ली मे अनाथाश्रम के पास सामने जो भूमि है उसीपर वनेगा । चाधरन बाईके मन्दिरमें उनके १ लाखके दानकी घोषणा हुई। उन्हें समाजकी ओरसे पगड़ी वधायी गई । श्रीसिधई कुन्दनलालजीके द्वारा पगडीका कार्य सम्पन्न हुआ। सेठ भगवानदासजीने पुप्पमाला पहनाई । श्रीछोटेलालजीने अच्छा व्याख्यान दिया । आप १ पुरातनवेत्ता हैं । आपने पुराने तीर्थक्षेत्रों तथा प्रतिमाओंकी फिल्म ली है । एक दिन रात्रिको उनका प्रदर्शन किया। सिं० डालचन्द्रजीने नव आगन्तुकोको भोजन कराया। प्रसन्नतासे सब लोग अपने-अपने स्थान गये । हम शान्तिले समय यापन करते रहे । पर्यूषण पर्व आनेवाला था इसलिये समग्र समाजमे उत्माह भर रहा था ।
SR No.009941
Book TitleMeri Jivan Gatha 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages536
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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