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________________ इंटर कालेजका उपक्रम २६३ आये । आप एक धार्मिक पुरुष हैं। आपका तत्त्वज्ञान निर्मल है । आपकी धर्ममें अधिक प्रवृत्ति रहती है। दिल्लीसे लाला मक्खनलालजी ठेकेदार जो कि वर्तमानमे गृहवाससे पूर्णरीत्या उदासीन हैं, आये। टीकमगढ़से पं० ठाकुरदासजी बी. ए. आये । श्राप संस्कृत तथा अंग्रेजीके योग्य विद्वान हैं। सहारनपुरसे श्री नेमिचन्द्र जी वकील आये । आप बहुत ही विद्वान हैं। करणानुयोगके अच्छे ज्ञाता हैं। अल्प अवस्था होने पर भी ब्रह्मचर्यका पालन करते हैं। श्री जैनेन्द्रकिशोर जी दिल्ली तया राजकृष्ण जी दिल्ली सकुटुम्ब आये । जानसरसे श्री तहसीलदार साहब आये। इस प्रकार अनेक विद्वानों तथा अन्य विशिष्ट महानुभावोंके समागमसे वर्षाकालका समय सम्यक रीत्या व्यतीत हुआ। जल वायु उत्तम तथा शरीरके अनुकूल रहा। इंटर कालेजका उपक्रम ललितपुर बुन्देलखण्ड प्रान्तका केन्द्र स्थान है, जैनियोंकी अच्छी वस्ती है और व्यापारका अच्छा स्थान है। यहाँपर शिक्षाका आयतन न होना हृदयमें चोट करता रहता था । एक पाठशाला पहले क्षेत्रपालमें थी जिससे प्रान्तके छानोंको लाभ होता था परन्तु अब वह वन्द हो चुकी है। इच्छा थी कि यहाँ पर ज्ञानका एक अच्छा आयतन स्थिर हो तो प्रान्तके वालकोंका बहुत कल्याण हो। आज कल लोगोंकी रुचि अंग्रेजी विद्याकी ओर अधिक है, अतः उसीके आयतन स्थापित करना चाहते हैं। मुझे इसमें हर्प विपाद नहीं। भापा उन्ततिका साधन है। यदि हृदयकी पवित्रताको न
SR No.009941
Book TitleMeri Jivan Gatha 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages536
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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