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________________ मेरी जीवन गाथा • 'शिक्षा का उद्देश्य शान्ति है, उसका कारण अध्यात्मशिक्षा है, अध्यात्मशिक्षासे ही मनुष्य ऐहिक तथा पारलौकिक शान्तिका भाजन हो सकता है।' 'धार्मिक शिक्षा किसी सम्प्रदाय की नहीं । वह तो प्रत्येक प्राणी की सम्पत्ति है। उसका आदर पूर्वक प्रचार करना राष्ट्रका मुख्य कर्तव्य है । जिस राष्ट्रमें उसके बिना केवल लौकिक शिक्षा दी जाती है वह राष्ट्र न तो स्वयं शान्तिका पात्र है और न अन्यका उपकारी हो सकता है। आगराके जैन कालेज में धार्मिक शिक्षाका जो प्रवन्ध है वह प्रशंसनीय है । धार्मिक जीवन के लिये धार्मिक शिक्षा की मुख्य आवश्यकता है।' __ 'आजकल भौतिकवादके प्रचारसे संसारका सहार हो रहा है । इसका मूल कारण एकाङ्गी शिक्षा है। यदि इसको अध्यात्मशिक्षाके साथ मिश्रण किया गया तो अनायास जगत् का कल्याण हो जायगा।' ___'वहुत बोलना ही दुःख का मूल है । संसार मे वही मनुष्य सुख का भाजन हो सकता है जो निःस्पृह हो। शान्तिका मार्ग वहीं है जहाँ निवृत्ति है। केवल जल्पवादसे कुछ लाभ नहीं। केवल गल्पकथाके रसिक मनुष्योंसे सम्पर्क रहना ही संसार वन्धनका मूल कारण है।' _ 'यहाँ एक दिन स्वप्नमे स्वर्गीय बावा भागीरथ जी की आज्ञा हई कि हम तो वहत समयसे स्वर्गमें देव हैं। यदि तू कल्याण चाहता है तो इस संसर्गको छोड़ । तेरी आयु अधिक नहीं, शान्ति से जीवन विता । यद्यपि तेरी श्रद्धा हद है तथापि उसके अनुकूल प्रवृत्ति नहीं। हम तुम्हारे हितैपी हैं। हम चाहते हैं कि तुम्हे कुछ कह परन्तु पा नहीं सकते। आदरसे त्यागको अपनाओ । आदरसे
SR No.009941
Book TitleMeri Jivan Gatha 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages536
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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