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________________ विद्यालयका उद्घाटन और विद्वत्परिषद्को बैठक श्री पं० कमलकुमारजी व्याकरणतीर्थ जो पहले इन्दौर मे सेठजीके विद्यालय में थे इस्तीफा देकर यहाँ आये । आप बहुत ही योग्य और स्वच्छ हृदयके विद्वान् हैं । श्री ज्ञानधन पाठशालाके लिये सुयोग्य विद्वानकी आवश्यकता थी सो इनके द्वारा पूर्ण हो गयी । पाठशालाका उद्घाटन समारोह करनेका विचार हुआ उसी समय अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वन् परिषद्की कार्य-कारिणी समिति बुलानेका भी विचार स्थिर हुआ । सर्व इसके लिये ज्येष्ठ शुक्ल ५ का दिन निश्चय किया गया । उत्सवकी तैयारियाँ की गई। धर्मशालाके प्रागण में सुन्दर मंडप बनाया गया । उद्घाटन समारोहके अध्यक्ष श्री कलक्टर साहब बनाये गये । चाहरसे श्री पं० वंशीधरजी न्यायालंकार इन्दौर, पं० कैलाशचन्द्रजी, पं० फूलचन्द्रजी, पं० महेन्द्र कुमारजी, पं० खुशाल चन्द्रजी बनारस, पं० दयाचन्द्रजी, प० पन्नालालजी साहित्याचार्य सागर, पं० वर्ध-मानजी सोलापुर, पं० वंशीधरजी वीना, पं० दरवारीलालजी, पं० राजेन्द्रकुमारजी, पं० राजकृष्णजी देहली और पं० बंशीधरजी के. सुपुत्र श्री पं० धन्यकुमारजी इन्दौर आदि अनेक विद्वान् पधारे । उत्सवके प्रारम्भमे भी पं० कैलाशचन्द्रजीने ज्ञानघनकी बहुत सुन्दर व्याख्या की । अनेक विद्वानोंके उत्तमोत्तम व्याख्यान हुए । ' श्री कलक्टर साहबने त्यागपर बहुत बल दिया । उन्होंने यह सिद्ध किया कि त्यागसे ही कल्याणका मार्ग प्रशस्त हो सकता है प्राजक्ला दुःखका मूल कारण परिग्रहकी इच्छा है इसका जिसने परित्याग
SR No.009941
Book TitleMeri Jivan Gatha 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages536
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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