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________________ ४ 19 Ιε وال भगवई सुत्त गोयमा ! पुव्विं वा उववज्जित्ता, एवं जहा सत्तरसमसए छट्टुद्देसे जाव से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-पुव्विं वा जाव उववज्जेज्जा । णवरं तेहिं संपाउणणा, इमेहिं आहारो भण्णइ, सेसं तं चेव । पुढविक्काइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए ईसाणे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, पुच्छा ? गोयमा ! एवं चेव । एवं जाव ईसीपब्भाराए उववाएयव्वो । पुढविक्काइए णं भंते ! सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे जाव ईसीपब्भभाराए पुच्छा ? गोयमा ! एवं चेव । एवं एएणं कमेणं जाव तमाए, अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोह समाणे जे भविए सोहम्मे जाव ईसिपब्भाराए उववाएयव्वो । पुढविक्काइए णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं सणकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए से भंते ! पुव्विं उववज्जित्ता पच्छा आहारेज्जा ? गोयमा ! तं चेव जाव से तेणट्टेणं जाव णिक्खेवओ । पुढविक्काइए णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं सणकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, पुच्छा ? गोयमा! एवं चेव । एवं जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो । एवं सणकुमार माहिंदाणं बंभलोगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए समोहणित्ता पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो । एवं बंभलोगस्स लंतगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए, पुणरवि जाव अहेसत्तमाए । एवं लंतगस्स महासुक्कस्स कप्पस्स य अंतरा समोहए, पुणरवि जाव अहे सत्तमा । एवं महासुक्कस्स सहस्सारस्स य कप्पस्स अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमा | एवं सहस्सारस्स आणयपाणयकप्पाण य अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए । एवं आणय-पाणयाणं आरणअच्चुयाण य कप्पाणं अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए I एवं आरण-च्चुयाणं गेवेज्जविमाणाण अणुत्तर विमाणाण य अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमा । एवं अणुत्तरविमाणाणं ईसीपब्भाराए य पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो । आउक्काइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे आउकाइयत्ताए उववज्जित्तए, पुच्छा ? गोयमा ! जहा पुढविक्काइयस्स जाव से तेणद्वेणं । एवं पढम-दोच्चाणं अंतरा समोहए जाव ईसीपब्भाराए उववाएयव्वो । एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए, समोहणित्ता जाव ईसीपब्भाराए उववाएयव्वो आउक्काइयत्ताए । आउयाए णं भंते ! सोहम्मी - साणाणं सणकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणोदहिसु, घणोदहिवल आउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, पुच्छा ? 484
SR No.009905
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages653
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size8 MB
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