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________________ भगवई सुत्त हालिद्दगा य। एए सोलस भंगा, एवमेए पंच चउक्कसंजोगा, णेयव्वा एक्केक्के संजोए सोलससोलस भंगा, सव्वमेए असीइ भंगा । जइ पंचवण्णे सिय कालए य णीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किल्लए य, सिय कालए य णीलए य लोहियगे य हालिद्दगे य सुक्किल्लगा य, एवं एएणं कमेणं भंगा चारेयव्वा जाव सिय कालए य णीलगा य लोहियगा य हालिद्दगा य सुक्किलगे य एसो पण्णरसमो भंगो; सिय कालगा य णीलगे य लोहियगे य हालिद्दए य सुक्किलए य, सिय कालगा य णीलगे य लोहियगे य हालिद्दगे य सुक्किलगा य, सिय कालगा य णीलगे य लोहियगे य हालिद्दगा य सुक्किलए य, सिय कालगा य णीलगे य लोहियगे य हालिद्दगा य सुक्किलगा य चउभंगो | सिय कालगा य णीलगे य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, सिय कालगा य णीलगे य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलगा य, सिय कालगा य णीलए य लोहियगा य हालिद्दगा य सुक्किलए य सत्त भंगा एए । सिय कालगा य णीलगा य लोहियगे य हालिद्दए य सुक्किलए य, सिय कालगा य णीलगा य लोहियगे य हालिद्दए य सुक्किलगा य, सिय कालगा य णीलगा य लोहियगे य हालिद्दगा य सुक्किलए य, सिय कालगा य णीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य; एए एक्कारसभंगो पंचसंजोएणं सव्वे एते छव्वीसं भंगा भवइ । एवमेए सपुव्वावरेणं एक्कगदुयग-तियग-चउक्कग-पंचगसंजोएहिं दो एक्कतीसं भंगसया भवइ । गंधा जहा सत्तपएसियस्स। रसा जहा एयस्स चेव वण्णा | फासा जहा चउप्पएसियस्स | णवपएसिए णं भंते । खंधे कइवण्णे जाव कइफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! जहा अट्ठारसम सए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । एगवण्ण-दुवण्ण- तिवण्णचउवण्णा जहेव अट्ठपएसियस्स | जइ पंचवण्णे सिय कालए य णीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए, सिय कालए य णीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, एवं परिवाडीए एक्कतीसं भंगा भाणियव्वा जाव सिय कालगा य णीलगा य लोहियगा य हालिद्दगा य सुक्किलए य । एए एकत्तीसं भंगा । एवं एक्कग-दुयग-तियग-चउक्कग- पंचगसंजोएहिं दो छत्तीसा भंगसया भवंति | गंधा जहा अट्ठपएसियस्स। रसा जहा एयस्स चेव वण्णा | फासा जहा चउप्पएसियस्स | दसपएसिए णं भंते ! खंधे कइवण्णे जाव कइफासे पण्णत्ते ? गोयमा! जहा अट्ठारसम सए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । एगवण्ण-वण्ण-तिवण्णचउवण्णा जहेव णवपएसियस्स | पंचवण्णे वि तहेव, णवरं बत्तीसइमो भंगो भण्णइ । एवमेए एक्कग-दुयग- तियग-चउक्कग-पंचगसंजोएसु दोण्णि सत्ततीसा भंगसया भवंति | गंधा जहा णवपएसियस्स । रसा जहा एयस्स चेव वण्णा । फासा जहा चउप्पएसियस्स। जहा दसपएसिओ एवं संखेज्जपएसिओ वि, एवं असंखेज्जपएसिओ वि, सुहमपरिणओ अणंतपएसिओ वि एवं चेव । २३ | बायरपरिणए णं भंते ! अणंतपएसिए खंधे कइवण्णे जाव कइफासे पण्णत्ते ? 480
SR No.009905
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages653
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size8 MB
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