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________________ २३ २४ २५ २६ भगवई सुत्त चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा; जाव अहवा दो रयणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा तिण्णि रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए, एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं जीवाणं दुयासंजोगो तहा छण्ह वि भाणियव्वो, णवरं एक्को अब्भहिओ संचारेयव्वो जाव अहवा पंच तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए तिणि वालुयप्पभाए होज्जा, एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं जीवाणं तियासंजोगो भणिओ तहा छह वि भाणियव्वो, णवरं एक्को अहिओ उच्चारेयव्वो, सेसं तं चेव । चक्कसंजोगो वि तहेव, पंचसंजोगो वि तहेव, णवरं एक्को अब्भहिओ संचारेयव्वो जाव पच्छिमो भंगो- अहवा दो वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे घूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा; अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे पंकप्पा एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा; अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव गे अस होज्जा | सत्त भंते ! णेरइया णेरइयप्पवेसणएणं पविसमणा किं रयणप्पभाए होज्जा, पुच्छा ? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए छ सक्करप्पभाए होज्जा । एवं एएणं कमेणं जहा छण्हं जीवाणं दुया- संजोगो तहा सत्तण्ह वि भाणियव्वं णवरं एगो अब्भहिओ संचारिज्जइ, सेसं तं चैव । तियासंजोगो, चउक्कसंजोगो, पंच संजोगो, छक्कसंजोगो य जहा छण्हं जीवाणं तहा सत्तण्ह वि भाणियव्वं, णवरं एक्केक्को अब्भहिओ संचारेयव्वो जाव उक्कग संजोगो जाव अहवा दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अट्ठ भंते । णेरड्या णेरइयप्पवेसणएणं पविसमणा किं रयणप्पभाए होज्जा, पुच्छा ? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए सत्त सक्करप्पभाए होज्जा । एवं दुयासंजोगो जाव छक्कसंजोगो य जहा सत्तण्हं भणिओ तहा अट्ठण्ह वि भाणियव्वो णवरं एक्केक्को अब्भहिओ संचारेयव्वो । सेसं तं चेव जाव छक्कसंजोगस्स अहवा तिण्णि सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा; 1 245
SR No.009905
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages653
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size8 MB
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