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________________ भगवई सुत्त वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा | अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा || अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा | पंच भंते ! णेरड्या णेरड्यप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा, पुच्छा ? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा; जाव अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा ॥१॥ अहवा दो रयणप्पभाए तिणि सक्करप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए तिण्णि अहेसत्तमाए होज्जा ॥२॥ अहवा तिण्णि रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होज्जा; एवं जाव तिण्णिरयण- पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा ||३|| अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥४॥ अहवा एगे सक्करप्पभाए चत्तारि वालयप्पभाए होज्जा । एवं जहा रयणप्पभाए समं उवरिमपुढवीओ चारियाओ तहा सक्करप्पभाए वि समं चारेयव्वाओ जाव अहवा चत्तारि सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा; एवं एक्केक्काए समं चारेयव्वाओ जाव अहवा चत्तारि तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए तिण्णि अहेसत्तमाए होज्जा | अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा | अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहेसत्तमाए | अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए तिण्णि पंकप्पभाए होज्जा ।एवं एएणं कमेणं जहा चउण्हं जीवाणं तियासंजोगो भणिओ तहा पंचण्ह वि तियासंजोगो भाणियव्वो; णवरं तत्थ एगो संचारिज्जइ इह दोण्णि, सेसं तं चेव जाव अहवा तिण्णि धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालयप्पभाए दो पंकप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा | अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा; एवं जाव अहेसत्तमाए | अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करपभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए 243
SR No.009905
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages653
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size8 MB
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