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________________ ठाणांग सुतं २८ | दुविहे धम्मे पण्णत्ते तं जहा- सुयधम्मे चेव, चरित्तधम्मे चेव । सुयधम्मे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- सुत्तसुयधम्मे चेव, अत्थसुयधम्मे चेव । चरित्तधम्मे दुविहे पण्णत्ते, तं जहाअगारचरित्तधम्मे चेव, अणगारचरित्तधम्मे चेव । दुविहे संजमे पण्णत्ते, तं जहा- सरागसंजमे चेव, वीयरागसंजमे चेव । सरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- सुहुमसंपराय सरागसंजमे चेव, बादरसंपराय सरागसंजमे चेव | सुहमसंपरायसरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- पढमसमय सुहमसंपराय सरागसंजमे चेव, अपढमसमय सुहमसंपराय सरागसंजमे चेव । अहवा चरिमसमय सुहमसंपराय सरागसंजमे चेव, अचरिमसमय सुहमसंपराय सरागसंजमे चेव । अहवा-सुहमसंपराय सरागसंजमे दुविहे पण्णते, तं जहा- संकिलेसमाणए चेव, विसुज्झमाणए चेव । बादरसंपराय सरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- पढमसमय बादरसंपराय सरागसंजमे चेव, अपढमसमय बादरसंपराय सरागसंजमे चेव | अहवा चरिमसमय बादरसंपराय सरागसंजमे चेव, अचरिमसमय बादरसंपराय सरागसंजमे चेव । अहवा बादरसंपराय सरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- पडिवाइए चेव, अपडिवाइए चेव। वीयरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- उवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव, खीणकसायवीयरागसंजमे चेव । उवसंतकसायवीयरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- पढमसमयउवसंतकसाय-वीयरागसंजमे चेव, अपढमसमय उवसंतकसाय-वीयरागसंजमे चेव । अहवा चरिम समय उवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव, अचरिमसमय उवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव । खीणकसाय वीयरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- छउमत्थ खीणकसाय वीयरागसंजमे चेव, केवलि खीणकसाय वीयरागसंजमे चेव । छउमत्थखीणकसाय वीयरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- सयंबुद्ध छउमत्थ खीणकसाय वीयरागसंजमे चेव, बुद्धबोहिय छउमत्थखीणकसाय वीयरागसंजमे चेव। सयंबुद्ध छउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे विहे पण्णत्ते, तं जहा- पढम समय सयंबुद्धछउमत्थ खीणकसाय वीयरागसंजमे चेव, अपढमसमय सयंबुद्ध- छउमत्थ खीणकसाय वीयरागसंजमे चेव। अहवा चरिमसमय सयंबुद्धछउमत्थ-खीण- कसाय वीयरागसंजमे चेव, अचरिमसमय सयंबुद्धछउमत्थखीणकसाय वीयराग संजमे चेव | बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- पढम समय बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसाय वीयरागसंजमे चेव, अपढमसमय बुद्धबोहिय छउमत्थखीणकसाय वीयरागसंजमे चेव । अहवाचरिमसमय बुद्धबोहिय छउमत्थ- खीणकसाय वीयरागसंजमे चेव, अचरिमसमय बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसाय वीय- रागसंजमे चेव । केवलिखीणकसायवीयरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- सजोगि केवलिखीणकसायवीयरागसंजमे चेव, अजोगि केवलिखीणकसायवीयराग संजमे चेव ।
SR No.009903
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages189
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size4 MB
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