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________________ XXXVIII ४. हनुमानना पूर्वभवोमां फेरफार जणाय छे. (ते त्यां ज टिप्पणीमां दर्शावेल छे.) (पृ. १३७) ५. ब्रह्मदत्त चक्रवर्तीने नाटक जोतां जातिस्मरण थाय छे. (हकीकतमां नाटक जोती वेळाए दासी पुष्पकन्दुक आपे छे, तेनुं निरीक्षण करतां जातिस्मरण थाय छे.) (पृ. ३८३) ४. ग्रन्थकार - ग्रन्थरचनाकाल कहावली ग्रन्थना रचयिता आचार्यश्रीभद्रेश्वरसूरिजी छे, तेवं तेमणे पोते ज विविध स्थळोए करेल निर्देशोथी जणाय छे. जेमके, रामायण पूर्ण थये - रामायणं समत्तं भद्देसरसूरिरइअंति ॥, ए ज रीते हरिवंश पूर्ण थये - हरिवंसो समत्तो भद्देसरसूरिरइओ त्ति ॥ व. परन्तु, ग्रन्थना प्रथम परिच्छेदनी ज प्रति उपलब्ध होवाथी ग्रन्थान्ते (बीजा परिच्छेदना छेडे) रहेल प्रशस्ति आदिना अभावे, अने अन्यत्र पण क्यांय कहावलीना रचयिता अमुक भद्रेश्वरसूरि छे एवो कोई उल्लेख प्राप्त न थवाथी, कहावली ग्रन्थना रचयिता भद्रेश्वरसूरि कया गच्छ-परम्परा-आचार्यादिना सन्तानीय शिष्य हता अने कया अरसामां थया, क्यारे तेमणे आ ग्रन्थनी रचना करी व. निश्चितपणे कहेवं मुश्केल छे. एम छतां केटलाक विद्वज्जनोए तेमना समय विशे घणां अनुमानो कर्यां छे, ते बधां उपर विचार करी अहीं केटलाक मुद्दा रजू कराय छे जे भद्रेश्वरसूरिनो सत्ताकाळ जाणवामां सहायक बनशे. 0 कहावलीनी प्राकृतभाषा आगमिक चूर्णिओ जेवां लक्षणो धरावे छे तेथी प्राचीन छे, ग्रन्थना प्रथम परिच्छेदना बीजा खण्डमां श्रीजिनभद्रगणि क्षमाश्रमणना स्वर्गमन विशे संपयं देवलोयं गओ एवो उल्लेख छे, अने ग्रन्थमां छेल्लुं चरित्र हरिभद्रसूरिजी- छे पण बप्पभट्टीसूरिजी, के जेओ हरिभद्रसूरिजी पछीना छे तेमना, विशे कोई उल्लेख नथी कर्यो, - आ बधां कारणोसर एवं कही शकाय के कहावलीकार भद्रेश्वरसूरि हरिभद्रसूरिजीना परवर्ती अने बप्पभट्टीसूरिजीना पूर्ववर्ती होई शके, अर्थात् तेमनो समय विक्रमनो आठमो सैको सम्भवित छे; एम डॉ. उमाकान्त प्रेमानन्द शाह माने छे. ० प्रा. सी. डी. दलाले कहावली-कर्ता भद्रेश्वरसूरिने राजा कर्ण (वि. ११२०-११५९) ना समयना मान्या छे. ० पं. लालचन्द्र भ. गान्धी, श्रेयांसनाथ चरित्र(प्राकृत)ना कर्ताए जेमनो गुरु तरीके निर्देश को छे अने जेओ सिद्धराज जयसिंहना मन्त्री सान्तू महेताना समकालीन हता - अर्थात् वि.सं. ११५०नी आसपासना समयमां थई गयेल, भद्रेश्वरसूरिजीने कहावलीना रचयिता तरीके माने छे. 0 पं. दलसुख मालवणियाए वादी देवसूरिना शिष्य भद्रेश्वरसूरिनी (वि.सं. ११००-११९० प्रायः) कहावलीना रचयिता होवानी सम्भावना प्रकट करी छे. ० अने पं. अमृतलाल भोजक, कहावलीमां चउप्पन्नमहापुरिसचरियं-ना विविध कथासन्दर्भो अने विबुधानन्दनाटक सगृहीत होवाथी तेना रचयिता चउप्पन्नमहापुरिसचरियनी रचना (वि.सं. ९२५ प्रायः) थया पछीना काळमां कहावलीकार भद्रेश्वरसूरि थया होवानुं माने छे. आ बधा विद्वानोए जे अनुमानो कर्यां छे तेनी एक संक्षिप्त समीक्षा करी पछी तारण उपर आवीए. कहावलीनी भाषा घणी प्राचीन छे एवं डॉ. उमाकान्त प्रे. शाहनुं अनुमान सत्य छे, परन्तु ते तो विविध प्राचीन ग्रन्थोमांथी तेमणे शब्दशः उद्धरणो लीधा होवाने कारणे अने तेना अनुकरणरूपे ज तेमनी पोतानी प्राकृतभाषा पण प्राचीन जेवी थई होवानो पूरो सम्भव छे. वळी कहावलीनो बीजो परिच्छेद हाल उपलब्ध नथी, अने तेमां हरिभद्रसूरिजी पछीना बप्पभट्टीसूरिजी व. आचार्योनां चरित्रो होवानो पूरो सम्भव छे. तेथी कहावलीकार भद्रेश्वरसूरिने हरिभद्रसूरिजी पछी तरतना मानवा ए उचित जणातुं नथी.
SR No.009889
Book TitleKahavali Pratham Paricched Pratham Khand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyankirtivijay
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2012
Total Pages469
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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