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________________ amerikant अंक २] श्री महावरिनो समय-निर्णय [९७ जेटलां वर्ष सुधीना तो मगधना खरा ऐतिहासिक राज्यकर्ताओने गणाव्या छ, तेथी एम चोकस अनुमान थई शके के मगधराजाओनां खरा नाम अपनारी जूनी तवारीखोमांथी आ नामो लीधां हशे. आ यादीमां छेल्लां नामो उज्जयिनीना राजाओनां आवे छे; गर्दभिल्ल पण उज्जयिनानो राजा हतो, तेनो पुत्र विक्रमादित्य तेओमां घणो प्रख्यात हतो, तथा जैन लोकोए इस्वी सननां पहेलांनां सैकांओमां हिंदना पश्चिम भागमां घणो अगत्यनो भाग भजव्यो हतो, तेम ज तेमने उज्जयिनी साथे घणो संबंध हतो;एटला माटे तेमने उज्जयिनीना राजाना नामथी आ यादी शरु करवी तथा तेना ज नामथी इति करवी ए अनुकूळ लाग्युं हशे. विशेषमां एम पण एक अनुमान थई शके के मौर्यराजाओनी पडतीथी ज जैनोनो मगध अने पूर्वहिंद साथेनो संबंध . तूटी गयो हतो. बौद्धोनी गुंचवाडा भरेली वातो उपरथी तथा बीजां वधारे निश्चित प्रमाणो13 उपरथी आपणे एम धारी शकीए के पुष्यमित्र घणो ज धर्मद्वेषी हतो, अथवा तो एना वंशजोथी तेमने घणुं सहन करवू पडद्यु हतुं. ते समय पछी खरी रीते मगधराज्य विषे तेओ कथं जाणता न हता. 14 मगध देशना आ राजाओनी यादीमां पालकनु नाम केम आव्यु तेना विषे प्रो. जेकोबीए 15 एक गुचवण भरेलो तर्क बांध्यो हतो, ते एवो के ग्रंथकर्ताए अजातशत्रुना पुत्र अने वारस उदायिनने बदले भलथी पालकना बनेवी उदयनने गण्यो, अने तेथी उज्जयिनीना पालकनुं नाम आ प्रमाणे ए यादीमां आवी गयु. में उपर समजाव्यु छे ते प्रमाणे हुं धारतो नथी के पालक मूळ यादीमां होय; पण जो तेमां, तेना नामनी हयाती माटे कोई कारण आपq होय तो, हुं सरळ रीते ग्राह्य थाय तेवी बीजी सूचना करूं छु. कल्पसूत्र १४७ (जेकोबी-संपादित पा. ६७) मां एम कहेवामां आव्यु छ के महावीर ज्यारे छल्ला पावा (अगर पापा) मां रह्या हता त्यारे हस्तिपालकनी लेखकोवाळी सभामां (रज्जुसभा) निर्वाण पाम्या. आ राजानु नाम कल्पसूत्र १२३ मां पण आवे छे, ज्यां तेने हाथपाल कहेलो छ, अने जेकोबीए, से० बु० इ०, पु०२२, पा०२६४, २६९ ए वन्ने ठेकाणे हास्तपाल एम नाम वापरेलुं छे. पण हस्तलिखितग्रंथ बन्ने फकराओमां हथिपाल अने हस्थिपालग एम रूप आपे छे, अने पालुं रूपजेकोबीए कल्प० १४७मां आपेलुं छे. आ उपरथी एम स्पष्ट थाय छे के तेनुं नाम हस्तिपाल अगर हास्तपालक हतुं. आ बाबत उपर कांई भार मूकवानी जरूर नथी, कारण के तेमांथी वधारे जाणवानुं आपणने कोई कारण नथी. हवे हस्तिपाल (क) ने घरगतु भाषामां पालक पण कहेता होय तो ते संभवित छे अने मानी शकाय तेम छ तेम ज आ राजा महावीरना निर्वाण साथे घणो निकटनो संबंध धरावनारो होवाथी आपणे एम सूचवी शकिए के महावीरना निर्वाणनी रात्रिए तेने अभिषेक करवामां आव्यो हतो, एम पाछळथी कहेवामां आव्यं हशे.मारा अभिप्राय प्रमाणे, कोईक पालक जेने, पश्चिम हिंदमां जैनोमां प्रसिद्ध थएला ए ज नामना अवन्तीना राजाने बदले पाछळथी भूलथी गण्यो हशे, तेनो आ यादीमा आस्तित्व भोगववान आथी पुरतुं कारण मळी शके. 16 परंतु उपर जणावेलां कटेलांक कारणोने लीधे 13. सरखावोः वी. ए. स्मीथ, अर्ली हिस्टरी ऑफ इंडीआ, पा. १८८. 14. पूर्वहिंदमां कालंगनो राजा खारवेल जैनोनो रक्षक हतो; परंतु आ रक्षक पणुं थोडो वखत रह्य हशे. जैनो पोताना ए आश्रयभूत राजानो नामोल्लेख पण क्यांए करता नथी, तेम ज तेनी मीति पण अनिश्चित छे. 15. कल्पसूत्र, पा. ८, 16. पावानो हस्तिपाल (क) राजा कपिलवस्तुना शुद्धोदननी माफक, अगर कुंडग्गामना सिद्धार्थनी माफक एक नानो ठाकोर हशे, तेथी हुँ धार छु ते प्रमाणे कोई पण इतर जैन अगर ब्राह्मण ग्रंथोमां तेनुं नाम मळी आवतुं नथी. आ उपरथी एम जणाय छे के एनुं नाम याद रहेवाचं कारण ए ज के एना राज्यमा महावीर निर्वाणने पाम्या; अने तेथी ए पण स्पष्ट ज छे के आवो नानो राजा तेना नामना माटा राजाने बदले भूलथी गणवामां आवी जाय. Aho! Shrutgyanam
SR No.009879
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 02 Ank 01 to 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1923
Total Pages282
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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