SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ निवेदन. गत मार्गशीर्ष मासमां ज्यारे आ संस्थानी स्थापना अने पत्रनी योजना संबंधीनुं आवेदन पत्र प्रकट करवामां आव्युं हतुं, त्यारे वे त्रण मासमां प्रस्तुत अंक छपाई प्रकट थई शकशे एवी धारणा वामां आवी हती. अने तदनुसार फाल्गुन पूर्णिमा अथवा तो महावीर जयन्तिना प्रसंगे वाचकोना हाथमां आ अंक चाडवानी सूचना आपी हती. परंतु प्रेसनी अगवडना लीधे सूचित समय ऊपर अंक प्रकट थई शक्यो नथी. वर्तमानमां अनुभवाती छापखानासंबंधी कल्पनातीत कठिनताओ तरफ दृष्टिपात करतां तो आजे-वैशाल मासनी समाप्तिमां- पण वाचकोना हाथमां अमे आ अंक पहोंचाडवा जे समर्थ थया छीए तेथी वाचकोए आनन्द ज प्रकट करवो जोईए. कारण के, म्होंमांग्या चार्ज अगाउथी ज आपी देवा छतां पण, ज्यारे कोटलाए प्रेसोमांथी रखडी रखडीने लखाण पार्छु जेमनुं तेम अमारी पासे आव्युं त्यारे तो आटली मुदते पण आ अंक छपाई प्रकट थई शकशे एवी अमने बिल्कुल आशा रही न हती. परंतु, जे प्रेसमांथी आ अंक मुद्रित थई प्रकट थाय छे तेना भला चालकोए जेम तेम करी ने पण छेवटे आ काम करी आपवानी गोठवण करी अमारा परिश्रमने सफळ कर्यो छे अने तेथी ज आटला विलंबे पण अमे रसिक वाचकोने आ निबन्धसंग्रहना वाचननो लाभ आपी शकचा समर्थ थया छीए. आ अंक त्रैमासिकना नामे नहीं परंतु एक निबंधसंग्रहना नामे प्रकट थाय छे तेनुं कारण ए छे के, त्रैमासिकरूपे प्रकट करवा माटे सरकार पासे डेक्लेरेशन कराववुं पडे छे. हाल तुरतमां, केटलांक कारणाने लीधे अमे ए भांजगडमां पडवा इच्छता न होवाथी, निबन्ध संग्रहना नामे ज यथावसरे आवा अंको प्रकट करता रहीशं. बीजो अंक हवे वतसर ज प्रकाशित थई जशे एवी आशा रखाय छे. ए अंकमां, कदंब नामे प्रसिद्ध एक अति प्राचीन जैन राजवंशनां केटलांक ताम्रपत्रो, मथुराना पुरातन शिलालेखो, प्रो. वेबरनो जैनागमविषयक निबन्ध, डॉ. जेकोबीनी आचारांगसूत्रनी प्रस्तावना, केटलीक ऐतिहासिक नोंधो, तपागच्छनी पट्टावली, विगेरे लेखो प्रकट थशे. आ अंकना प्रकाशन दरम्यान, जे जे सद्गृहस्थोप संस्थाना लाईफमेंबर थई प्रस्तुत कार्यमा उदार सहायता आपी छे तेमनां सुनामो धन्यवादपूर्वक अत्र प्रकट करवामा आवे छे. रु. १०० श्रीयुत केशरीचंदजी भंडारी, इन्दौर. रु. १०० शाह अमृतलाल एन्ड भगवानदास. मुंबई. रु. १०० शाह गगलभाई हाथीभाई, पूना. रु. १०० शाह बाबूलाल, नानचंद भगवानदास झवेरी. पूना. रु. १०० शाह चंदुलाल वीरचंद कृष्णाजी पूना. रु. १०० शाह हरगोविंददास रामजी. मुंबई. रु. १०० शाह मणिलाल केशवलाल, पूना. रु. १०० शाह धनजीभाई वखतचंद साणड़वाला. हाल पूना. आ शिवाय, श्रीयुत मनसुखलाल रवजीभाई मेहता ( मुंबई ) ए छपाचवा माटे १८ रोम कागको पहचाड्या छे अने आरा निवासी बाबू कुमार देवेन्द्र प्रसादजीए पोताना खर्चे आ अंकमां आपेलां बन्ने दर्शनीय चित्रो तैयार करी मोकल्यां छे, तेथी तेओ पण धन्यवादने पात्र छे. तथा, आ समाजना संस्थापक अने पत्रना संपादक मुनिश्रीनी साहित्यसेवास्वरूप प्रवृत्तिमां हेल्ला दोढ वर्षथी, दानवीर उदारात्मा शेठ परमानन्द दास रतनजी (निवासस्थान, घाटकोपर, मुंबई ) तरफथी जे मुख्य सहायता मळ्या करे छे, तेथी तेमनुं पण, आ स्थळे, समाज तरफ थी अन्तःकरणपूर्वक अभिनन्दन कर उचित गणाशे. आशा छे के आवी जरी बीजा पण सद्गृहस्थो यथाशकि पोतानी उदारता बतावी जैन धर्मना आ गौरव प्रकाशक पुण्य कार्यमां सहायक थई स्वद्रव्यने सफळ बनावशे. निवेदक व्यवस्थापक, जैन सा. सं. समाज. 'हनमान् 'छापखाना ९२५ सदाशिव पेठ, पुणे शहर. Aho! Shrutgyanam
SR No.009877
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 01 Ank 01 to 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1922
Total Pages274
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy