SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्ञानप्रदीपिका। चन्द्रो माता पिताऽऽदित्यः सर्वेषां जगतामपि । . गुरुशुक्रारमंदज्ञाः पंच भूतस्वरूपिणः ॥१॥ सारे जगत् को माता चन्द्रमा और पिता सूर्य हैं । वृहस्पति शुक्र मंगल शनि और बुध ये पांचो पंच महाभूत हैं। श्रोत्रत्वक्चक्षरसनाघ्राणाः पञ्चेद्रियाण्यमी । शब्दश्पशी रूपरसौ गंधश्च विषया अमी ॥२॥ श्रोत्र ( कान ) त्वक् ( चर्म ) आंख, जीभ, घ्राण (नाक) ये पांच इन्द्रिय हैं। और शब्द स्पर्श, रूप, रस और गन्ध ये क्रमशः इनके विषय हैं। ज्ञानं गुर्वादिपंचानां ग्रहाणां कथयेक्रमात् । गुरोः पञ्च भृगोश्चाब्धिः त्रयं ज्ञस्य कुजस्य द्वे ॥३॥ एकं ज्ञानं शनेरुक्तं शास्त्र ज्ञानप्रदीपके। गुरु, शुक्र, मंगल, बुध और शनि इनका ज्ञान कमशः ५, ४, २, ३, और ३ है। ऐसा ज्ञान प्रदापक शास्त्र का कहना है । भौमवर्गा इमे प्रोक्ताः शंखशुक्तिवराटकाः॥४॥ मत्कुणाः शिथिलायूकमक्षिकाश्च पिपीलिकाः । शस्त्र, शुक्कि, कौड़ी, खटमल, जू , मक्खियां, चीटियां-ये भौमवर्ग अर्थात् मंगल के जीव हैं। बुधवर्गा इमे प्रोक्ताः षट्पदा ये भृगोस्तथा ॥५॥ देवा मनुष्याः पशवो विहगाः गुरोः । (2) तथैकज्ञानिनो वृक्षाः शनिवृक्षाः प्रकीर्तिताः ॥६॥ एकदित्रिचतुःपंचगगनादिगणाः स्मृताः। भौंरे बुधवर्ग में, देव मनुष्य शुक्र वर्ग में, पशु और पक्षी गुरु वर्ग में, और वृक्ष शनिवर्ग में कहे गये हैं xxxxx। Aho ! Shrutgyanam
SR No.009876
Book TitleGyan Pradipika tatha Samudrik Shastram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamvyas Pandey
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1934
Total Pages168
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy