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________________ ५८ भास्वत्याम् । और चन्द्र गति ८४ को ६० से गुणा तो भाजक ५६४० हुआ, इस का भाज्य में भाग दिया तो वर्तमान नक्षत्र की भुक्त घड़ी आई ३८१४९ मिली, पूर्व भाग शेष ६०।४९ २ ४ को १०० में हीन किया तो शेष ३९।१०।३६ बचे इसको ६० स गुणा कर के सजाती किया तो माज्य १४१०३६ हुआ इस में भाजक ५६४० का भाग दिया तो लब्ध वतमान नक्षत्र का भाग्य घड़ी २५ पल मले, गत ऐष्यका योग ६३।४९ हआ। स्पष्ट चन्द्र १३६० । ४ । २४ में २२५ का भाग दिया तो फल गतराशि कन्या ६ मिली, शेष १० । ४९ । २४ को ३० से गुणा कर सजाती किया तो ३४९ । २४ हुए इस में २२५ का भाग दिया तो फलगत अंशादि १ । ३३ । १९ मिले, इम में गतराांश ६ को युत किया तो स्पष्ट चन्द्रमा ६।१।३३।११ हुआ । स्पष्टसूर्य २०० । ४४ । ४५ में २२५ का भाग दिया तो फल गतराशि मिली, शेष २००१४ ४।४५ को पूर्वोक्त क्रिया करने से अंशादि फल २६ ५९।१६ मिले इसमें गत राशि • युत किया तो स्पष्ट सूर्य ०।२६।५१।५६ हुआ ॥ १३ ॥ योग विधिःएवं रवीन्दोर्युतितश्च योगाः सूर्येन्दु भुक्तयैकहृतस्तु नाड्यः ॥१४॥ सं० टी०-एवममुना प्रकारेण रवीन्दास्सूर्यचन्द्रयोयुतितः, योगा भवन्ति च सूर्येन्दुभुक्तयैकहतो नाड्यो भवन्ति । एवं रवीन्दोर्युतितश्चयोगाः सप्तान्विताश्चन्द्र. गतिस्तुहार इत्यपिपाठः ॥ १४ ॥ "तिथिनक्षत्रयोगानां बृद्धिःपञ्चरसद्विकम् । क्रमेणैव तु हृयन्ते रसवेदगजैः क्रमात्" ॥१॥ Aho! Shrutgyanam
SR No.009873
Book TitleBhasvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShatanand Marchata
PublisherChaukhamba Sanskrit Series Office
Publication Year1917
Total Pages182
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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