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________________ भास्वत्याम् मिले और शास्त्राब्द ८१३ में २० का भाग दिया तो लब्ध अशादि ४० | ३६ |० मिले सबको एकत्र जोड़ दिया तो मध्यम चन्द्र केन्द्र का ध्रुवा २३६१|४३|१४ हुआ ।। ७ ।। चन्द्र धुवे केन्द्रसंस्कारविधिः – केन्द्रे भवघ्नादिषु नेत्रचन्द्रैर्लब्धोनितो मध्य विधुः ध्रुवः स्यात् ॥८॥ सं॰टी॰—चन्द्र केन्द्रात् भवनादिपु नेत्र चन्द्रर्यल्लब्धं तेनोनितो मध्य विधुः स्पष्ट मध्य चन्द्र ध्रुवः स्यात् ॥८॥ भा० टी० - चन्द्रमा के केन्द्र ध्रुवाको ११ से गुणिकर १२५का भाग देय जो लब्ध मिलै वह चन्द्रमा के ध्रुवा में घटाने से चन्द्रमा का स्पष्ट ध्रुवा होता है ॥ ८ ॥ उदाहरण - चन्द्रमाके केन्द्रध्रुवा २३६१ । ४३ । ९४ । को ११ से गुणातों २५९७८। ५५।३४ हुए इसमें १२५ काभाग दिया तो लब्ध २०७। ४९/५३ | मिले इसको चन्द्रमा के ध्रुवा १३५८ । ११/२३ में घटाया तो मध्यम चन्द्रमा का ध्रुवा ११५० | २१/३०हुआ || ८|| राहु ध्रुव विधिः पातः शरघ्नो नगनेत्रयुक्तस्त्रिनन्दशेषो गगनाङ्ग निघ्नः । द्विरिन्दु रामाप्तखरामहीनः सांशोब्द बृन्दात्पुनरङ्गचन्द्रैः ॥ ६ ॥ Aho! Shrutgyanam
SR No.009873
Book TitleBhasvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShatanand Marchata
PublisherChaukhamba Sanskrit Series Office
Publication Year1917
Total Pages182
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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