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________________ १५१ भाखल्याम् । इसमें सनाती हर ४८२ का भाग दिया तो चन्द्रमान अंगुल आदि ११॥२७ हुआ । ग्रास ३३६१७ है, इसको सजाती किया तो १९९७ हुए इस में सनाती हर ४८२ का भाग दिया तो ग्रास का अगुलादि ४१८ मान हुआ। बलन ९३।३३ है, इसको सूर्य के मान अंगुल १२१४९ से गुणा तो १९९९।३० हुए इसमें ७०० का भाग दिया तो बलन का अंगुल आदि ११४३ मान हुआ ॥१॥ पलनदानविधि:चन्द्रार्कयोर्दिक्सममण्डलस्य सव्यापसव्ये वलनायसूत्रे। मध्यादुदग्दक्षिणतः शरान्तात् तमोर्चसूत्रेण रबीन्दुखएडः ॥२॥ सं० टी०-रबीन्दुखण्डः मध्यादुदग्दक्षिणतः चन्द्रायोदिक्सममण्डलस्याग्रसूत्रे सव्यापसव्येन वलनं देयं, शिलातले भूमौ वा मण्डलं कृत्वा केन्द्रमध्ये दक्षिणोत्तररेखां कुयोतू तन्दुमण्डले पूर्वभागरसौम्यः पश्चिमभागो याम्यः, अर्कमण्डले रेखापश्चिमभागस्सौम्यः रेखा पूर्वभागो याम्यः, यदिचन्द्रस्य सौम्यशरस्तदोत्तरे वलनदानं यदि याम्यशरस्तदादक्षिणे वलनदानं, यदि सूर्यस्य सौम्य शरस्ततादिक्सममण्डलादुत्तरभागे वलनदानं यदि याम्यशरस्तदादिक्सममण्डलादक्षिणेभागे वलनदानं देयं ततश्चन्द्रस्य सूर्यस्य वा मण्डलमध्याद्वलनमार्गेण शराड Aho ! Shrutgyanam
SR No.009873
Book TitleBhasvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShatanand Marchata
PublisherChaukhamba Sanskrit Series Office
Publication Year1917
Total Pages182
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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