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________________ सूर्यग्रहणाधिकारः । १४७ जगह इसमें १०० का भाग दिया तो फल १०।१५ मिले इसमें १९ को मिलाया तो २१।१५ हुए इसका दूसरे जगह रक्खे हुए १०२५।४।४१ में भाग दिया तो सौम्यफल ४८१६ मिले इसको “तदक्ष " ६०२२ में हॉन किया ता सौम्य नति १२६ हुई, स्थिर लंवन ३।३५ को १० से गुणा किया तो ३०५० हुए इसमें ३ का भाग दिया तो फल ११।५७ मिले, इसको सौम्यनत होने से पर्वकाल संस्कारित द्विन्न सूर्य २०७२।४८।८ में घटाया तो २०५८।५१८ हुए, झामें स्पष्टराहु ५२८३।१४।३९ को युत किया तो सूर्य युत. राहु ८०४२२५॥४७. हुआ। इसमें २७०० का भाग देने से फल सौभ्यशररहुआ, शेष २६४२२४७ को हर २७०० में घटाया तो शेष ५७५४१३ बचे पूर्व शेष से यह शेष अल्प है इससे इसको अपने दशांश ५१४७ से हीन किया तो सौम्यशर ५२।७।१२ हुआ । नाति के और शर के एक दिशा का होने से दोनों का योग किया तो स्पष्टशर १४।१३।१२ हुआ । सूर्य के खण्डान्तर 9 को ९६ में मिलाया तो सूर्य मान १०३ हुआ, और चन्द्रभुक्ति ८५ में ३ हीन किया तो चन्द्रमान २ हुआ। इन दोनों मानों का योग किया तो मानयोग १९५ हुआ, इसको आधा किया तो मान योगार्द्ध ९७३० हुआ, इसमें स्पष्टशर ६४१३.१२ को घटाया लो ग्रास. ३३।१६।४८ हुआ ॥ २ ॥ ३ ॥ स्थितिविधिःग्रासाच्चतुर्नात् सवितुः खराम ग्रासैक्यलब्धं स्थितिमदनार्द्धम् । इतीहसूर्य ग्रहणे विशेषः शेषस्तु चन्द्रग्रहवद् विचिन्त्यः॥४॥ इति श्रीमच्छतानन्द विरचितायां भास्वत्यां सूर्यग्रहणाधिकार सप्तमः ॥७॥ Aho ! Shrutgyanam
SR No.009873
Book TitleBhasvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShatanand Marchata
PublisherChaukhamba Sanskrit Series Office
Publication Year1917
Total Pages182
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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