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________________ ॥ श्री अर्जुनपताका || अर्थः- आठमी गतिवाळा यंत्रमां पण वीसनी योजना [ गणत्री ] जे रीते थाय छे, ते रीति मुग्ध जनना बोधने अर्थे कहेवा योग्य छे, त्यां प्रथम ११-६-३ अ प्रथम रीति, त्यारबाद कु = १, भूप = १६, अने राम = ३ ओ रीते १-१६-३ नी बीजी रीति, त्यारबाद कु = १, रस = ६ अने विश्व = १३ ओ री १-६-१३ अ बीजी रीति जाणवी. (ओ त्रणे रीते २० थाय छे.) ॥२॥ ७० अर्का १२ भू० वसुभिः ८ पक्ष २दशे १० भै ८ र्भू १ कु १ धृत्यतैः १८ ॥ भू १ शैल ७ भू १ कृतें ४ नं. १ गै ६-रिंदु १ शक्र १४ रसैः ६ पुनः ॥ ३ ॥ अर्थः तथा १२-०-८ ओटले २० ओ चोथी रीति, २-१०-८ ओटले २० अ पांचमी रीति, १-१-१८ * ओटले २० ओ छट्टी रीति, [ अत्रण रीति, १२-१०-१८ नी बीजी पंक्तिमां थाय छे. ] तथा [ १७-१४ - नी बीजी पंक्तिमां] १-७-१-४--१- अटले २० ओ सातमी रीति, १४-६ ओटले २० ओ आठमी रीति ॥ ३ ॥ भू १ सिंधु ४ दिवस : १५ पंक्ता - वायतत्वेनवाप्यमू : ॥ उद्भत्वेोशव ११दृक् २ शैले७-रेका १६१२ मुनि ७ भिस्तथा ॥४॥ अर्थ :- तथा १-४-१५ ओटले २० अ नवमी रीति, अ प्रमाणे आयत [ आडी - दीर्घ ] पंक्तिओमां से नव रीतिओ २० थाय छे. हवे उर्ध्व पंक्तिनी रीते (११-१२-१७ नी पहिली पंक्तिमा ) ११-२- ७ ओटले २० ओ पहेली रीति, अने ९-१२-७ ओटले २० ओ बीजी रीति ॥ ४ ॥ १ १४ १९ १५ ११ १६ १३ १० ओ चालु गणाती रितीओ आ यंत्रमाथी गणवी. १६ * कुटत्युतैः अ पदमां कु= १ ते धृति - १८ उतै ः- सहित ओवो अर्थ छे जेथी भू कु धृत्युतैः ओटले १-१-१८. १८ १३ २ अहिं ६ अने ५ नी सदृशता गणने २० नो अंक गणवो. Aho! Shrutgyanam
SR No.009872
Book TitleAnubhutsiddh Visa Yantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMahavir Granthmala
Publication Year1937
Total Pages150
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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