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________________ ॥ अनुभवप्रकाश ॥ पान ९१ ॥ हैं अवगाहहेतुत्व वर्तनाहेतृत्व चेतनत्व मूर्तत्व विशेषगुण पदार्थ सामान्यविशेष स्वभाव है है धरै हैं । नानापदार्थ एकपदार्थकरि जैसी विवक्षा होय तैसी समझि लेणी ॥ पदार्थ सत्तारूप है। सत्ता- महासत्ता अवान्तरसत्ता दोय भेद लीया छे। सत्वं है असत्वं त्रिलक्षणं अतिलक्षणं एकत्वं अनेकत्वं सर्वपदार्थस्थितत्वं एकपदार्थस्थितत्वं है है विश्वरूपं एकरूपं अनंतपर्यायत्वं एकपर्यायत्वं द्रव्य ऐसा द्रव्यभाव सर्व द्रव्यमैं महासत्ता है है जीवद्रव्य पुद्गलद्रव्य स्वरूपरूप वर्ते । अवांतर सत्ता द्रव्यसत्ता, अनादिअनंतपर्यायसत्ता, है सादिसांतस्वरूपसत्ता तीन प्रकार । द्रव्यस्वरूपसत्ता गुणसत्ता पर्यायसत्ता गुणसत्ताका हैं अनंतभेद ज्ञानसत्ता दरसनसत्ता अनंतगुणसत्ता पृथक्तभेद न छे । अनन्यत्वभेद छ । है ( जेते कछु निज द्रव्य गुण पूर द्रव्यगुण हैं । जेतीक सब द्रव्यनकी अतीत अनागत है है वर्तमानपर्याय तीनकालके नवपदार्थ द्रव्य गुण पर्याय उत्पाद व्यय ध्रुव सब ज्ञेयनाम है है आगममैं कह्या है। ज्ञानगोचर जो कछु होय, सो सव ज्ञेयनाम जानौं " ज्ञातुं है
SR No.009865
Book TitleAnubhav Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhmichand Venichand
PublisherLakhmichand Venichand
Publication Year
Total Pages122
LanguageMarathi
ClassificationBook_Other, Spiritual, Religion, & Sermon
File Size5 MB
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