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________________ रत्नत्रय : एक इकाई किन्तु यह तीनों ही विकल्प अवांछनीय हैं। धर्म जीवन में एक अलौकिक सुख और सामंजस्य पैदा करने वाला होना चाहिए न कि नीरसता। और पाखण्ड तो कदापि वांछनीय है ही नहीं। हम इस प्रकार के उदाहरण जानते हैं कि बाहरी त्याग यदि आन्तरिक त्याग नहीं है तो अत्यन्त निस्सार सिद्ध होता है। कहते हैं कि शुकदेव दिगम्बर थे। वे केवल एक कमंडलु रखते थे और महाराज जनक सब सुख साधनों से सम्पन्न थे। शुकदेव को यह जिज्ञासा हुई कि जनक राजभोग के वैभवविलासों में रहते हुए भी कैसे योग साध सकते हैं। वे जनक के यहाँ पहुँचे। जनक ने उनका स्वागत किया। दरबार में जाने से पहले शुकदेव अपना कमंडलु द्वारपाल के पास छोड़ गये थे । इतनी देर में प्रासाद में आग लग गई। शुकदेव को अपने कमंडलू की चिन्ता हई। पर महाराज जनक शान्त भाव से बैठे रहे। शुकदेव के पूछने पर जनक ने जो उत्तर दिया, वह भारतीय इतिहास की एक अनुपम घटना है । जनक बोले-मेरे पास अनन्त वैभव है किन्तु मैं अकिंचन हूँ, मेरे पास कुछ भी नहीं । यदि सारी मिथिला जलती है तो मेरा कुछ भी नहीं जलता। जनक का यह उत्तर बाह्य त्याग और आन्तरिक त्याग के अन्तर को सर्वथा स्पष्ट कर देता है। हमने एक ऊपर तीसरा विकल्प भी दिया और वह विकल्प विशेष रूप से विचारणीय है कि हम संसार के सुखभोगों को इस लिए छोड़ दें कि हमें भविष्य में कुछ सुख प्राप्त होगा और वर्तमान में हमारा जीवन निराशामय बना रहे किन्तु हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि सजातीय पदार्थ को आकृष्ट करता है। सुख सुख को और दुख दुख को उत्पन्न करता है। जिसका वर्तमान अन्धकारमय है, दुखमय है, वह उज्ज्वल भविष्य की कामना करे, यह एक बहुत बड़ी वंचना होगी। धर्म हमें भूत और भविष्य की कल्पनाओं से छुड़ाता है, भूत की और भविष्य की कल्पनाओं को बटोरता नहीं। यदि वस्तुतः स्वभाव धर्म है तो त्रिकालवर्ती है और उसे वर्तमान में भी होना चाहिए। उसके लिए किसी भविष्य की प्रतीक्षा नहीं की जा सकती। सारे धर्मशास्त्र परलोक के सुख की इच्छा का इहलोक के सुख की इच्छा के समान ही निषेध करते हैं। किन्तु धर्मशास्त्रों में परलोक के सुखों का भी इतना आकर्षक वर्णन है कि
SR No.009861
Book TitleJain Jivan Darshan ki Prushtabhumi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayanand Bhargav
PublisherRanvir Kendriya Sanskrit Vidyapith Jammu
Publication Year1975
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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