SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 186
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Ashtapad Maha Tirth फाल्गुनी अष्टालिका में कैलाश की वन्दना के लिए गये थे। वहीं पर दोनों मित्रों ने अपने पुत्र और पुत्रीका सम्बन्ध कर विवाह कर दिया। विद्याधरों की कैलाश-यात्रा के ऐसे अनेक प्रसंगों का उल्लेख जैन पुराण साहित्य में उपलब्ध होता * कैलाश की स्थिति : कैलाश की आकृति ऐसे लिंगाकार की है जो षोडश दलवाले कमल के मध्य खड़ा हो। उन सोलह दलवाले शिखरों में सामने के दो श्रृंग झुककर लम्बे हो गये हैं। इसी भाग से कैलाश का जल गौरी कुण्ड में गिरता है। ___ कैलाश इन पर्वतों में सबसे ऊँचा है । उसका रंग कसोटी के ठोस पत्थर जैसा है। किन्तु बर्फ में ढके रहेने के कारण वह रजत वर्ण प्रतीत होता है। दूसरे शृंग कच्चे लाल मटमेले पत्थर के हैं। कैलाश के शिखर की ऊँचाई, समुद्र तल से १९००० फुट है। इसकी चढ़ाई डेढ़ मील की है जो कि बहुत ही कठिन है । कैलाश की ओर ध्यान पूर्वक देखने से एक आश्चर्यजनक बात दृष्टि में आती है। वह यह है कि कैलाश के शिखर के चारों कोनों में ऐसी मन्दिराकृति स्वतः बनी हुई हैं, जैसे बहुत से मन्दिरों के शिखरों पर चारों ओर बनी होती हैं। तिब्बत की ओर से यह पर्वत ढ़लानवाला है। उधर तिब्बतियों के बहुत मन्दिर बने हुए हैं। बहुत से तिब्बती तो इसकी बत्तीस मील की परिक्रमा दण्डवत् प्रणिपात द्वारा लगाते हैं। 'लिंग-पूजा' शब्द का प्रचलन तिब्बत से ही प्रारम्भ हुआ है। तिब्बती भाषा में लिंग का अर्थ क्षेत्र या तीर्थ है। अतः लिंगपूजा का अर्थ तीर्थ-पूजा हुआ। * कैलाश और अष्टापद : प्राकृत निर्वाण भक्ति में 'अठ्ठावयम्मि रिसहो 'अर्थात् ऋषभदेव की निर्वाण भूमि अष्टापद बतलायी गयी है। किन्तु कहीं 'कैलाशे वृषभस्य निर्वृत्तिमही' अर्थात् कैलाश को ही ऋषभदेव की निर्वाण भूमि माना है। संस्कृत निर्वाण भक्ति में भी अष्टापद के स्थान पर कैलाश को ही ऋषभदेव का निर्वाण धाम माना गया है। (कैलाशशैलशिखरे परिनिर्वृतोऽसौ । शैलोशिभावमुपपद्य वृषो महात्मा ।।) निर्वाण-क्षेत्रों का नामोल्लेख करते हुए संस्कृत निर्वाण काण्ड में एक स्थान पर कहा गया है- 'सहयाचले च हिमवत्यपि सुप्रतिष्ठे।' इसमें सम्पूर्ण हिमवान् पर्वत को ही सिद्धक्षेत्र माना गया है। यहाँ विचारणीय यह है कि क्या कैलाश और अष्टापद पर्यायवाची शब्द हैं? यह भी अवश्य विचारणीय है कि कैलाश अथवा अष्टापद को निर्वाण क्षेत्र मान लेने के पश्चात् हिमालय पर्वत को निर्वाण भूमि माना गया तो उसमें कैलाश नामक पर्वत तो स्वयं अन्तर्भूत था, फिर कैलाश को पृथक् निर्वाण क्षेत्र क्यों माना गया? इस प्रकार के प्रश्नों का समाधान पाये बिना उपर्युक्त आर्ष कथनों में सामंजस्य नहीं हो पाता। पहले प्रश्न का समाधान हमें विविध तीर्थकल्प (अष्टापद गिरि कल्प ४९) में मिल जाता है। उसमें लिखा है 3. It may be mentioned here that Linga is a Tibetan word for land. The Northern most district of Bengal is caled Dorjiling, which means Thunder's land. - S.K. Roy (Pre-Historic India and Ancient Egypt, pg. 28). Bharat ke Digamber Jain Tirth -36 146
SR No.009853
Book TitleAshtapad Maha Tirth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajnikant Shah, Kumarpal Desai
PublisherUSA Jain Center America NY
Publication Year2011
Total Pages528
LanguageHindi, Sanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size178 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy