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________________ Shri Ashtapad Maha Tirth. के बाल (जिस के दूसरे टुकडे न हो सकें वैसे बालों से भरा जाए। ऐसे गर्त को व्यवहार पल्य कहा जाता है। सौ-सौ वर्ष के बाद एक-एक बाल का टुकड़ा उस गर्त से निकाला जाए और जितने समय में वह खाली हो जाए उतने समय को व्यवहार पल्योपम काल कहते हैं। एक और अच्छा पल्योपम है। पूर्वोक्त पल्य को बालों से भरा जाए उनमें से एक-एक समय के बाद एक-एक टुकड़े को निकालने पर जितने समय में वह खाली हो जाए उतने समय को अद्धा पल्योपम काल कहते हैं। आयु का प्रमाण बतलाने के लिए इसका उपयोग होता है। दस कोडा - कोडी अद्धा पल्यो का अद्धा सागर होता है। इसके द्वारा संसारी जीवों की आयु, कर्म तथा संसार की स्थिति जानी जाती पल्योपम एवं सागरोपम के परिमाण का सविस्तार वर्णन व्याख्याप्रज्ञप्ति एवं अनुयोगद्वार सूत्र तथा तिलोयपण्णत्ति में प्राप्त होता है तदनुसार पल्योपम तीन प्रकार के हैं (१) उद्धार पल्योपम, (२) अदा पल्योपम, (३) क्षेत्र पल्योपम । उसी प्रकार सागरोपम के भी तीन प्रकार हैं यथा ( १ ) उद्धार सागरोपम, (२) अद्धा सागरोपम एवं (३) क्षेत्र सागरोपम । वैदिक परम्परा के अनुसार काल को चार युगों में विभाजित किया गया है। कलियुग, द्वापर, त्रेता एवं सतयुग । कलियुग ४३२००० वर्ष का माना गया है। २ कलियुग ३ कलियुग = १ द्वापर १ त्रेता १ सत्युग ४ कलियुग चार युगों का १ चतुर्युगी ७१ चतुर्युगी का एक मन्वन्तर १४ मन्वन्तर एवं साध्यांश के १५ सत्युग का एक कल्प कल्प बराबर ४३२ x १०७ = ४.३ x १०९ वर्ष ४३२००००००० ब्रह्माण्ड की आयु १-४ x १०१० वर्ष । Period of Adinath इस प्रकार प्राचीन काल में जो पल्य और सागर के प्रमाण हैं उसके सही रूप को समझकर ही हम श्री आदिनाथ भगवान् का समय निश्चित कर पायेंगे । ८६४००० १२,९६,००० १७,२८,००० 136 a
SR No.009853
Book TitleAshtapad Maha Tirth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajnikant Shah, Kumarpal Desai
PublisherUSA Jain Center America NY
Publication Year2011
Total Pages528
LanguageHindi, Sanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size178 MB
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