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________________ वहाँ रहकर उन्होंने तीन ब्राह्मणोंको न्यौता दिया, जिनमे दो के तो शरीर ही नहीं थे और तीसरेके मुँह ही नहीं था । उन्होंने तीन थालियों में भोजन किया, जिनमें दो में तो तली ही नहीं थी और तीसरो चूर्ण रूप थी । उस भविष्य - नगर में वे तीनों बालक आनन्दपूर्वक अपना जीवन बिताते रहे ! सभ्यता तीन कुत्ते साथ-साथ घूमने निकले । एकने कहा - 'इस ' श्वान युग' में हमें कितना आराम है ! जल, थल, नभ किसीकी भी सैर हम बेरोक-टोक कर सकते है !' दूसरा बोला- 'हमारी खूबसूरती भी बढ़ गई है। कभी पानी में अपनी परछाई देखो तो पता चले !' तीसरेने कहा - 'सबसे ज्यादा ताज्जुबकी बात तो यह है कि इस युगमें कितना स्थिर विचार-साम्य है ।' कि, इतनेमें ही कुत्ता पकड़नेवाला आता दिखाई पड़ा । फ़िलफ़ौर तीसरा कुत्ता गलीकी तरफ भागता हुआ चिल्लाया- 'भागो जल्दी ! सभ्यता हमारे पीछे पड़ी है !' - खलील जिब्रान सबसे दुःखी प्राणी 'संसार में सबसे दुखी प्राणी कौन है ?' बेचारी मछलियाँ ! क्योंकि उनके दुःखके आँसू पानीमें धुल जाते हैं, किसीको दिखते नहीं । इसलिए वे तमाम सहानुभूति और स्नेहसे वंचित रह जाती है । सहानुभूति के अभावमें रज-सम दुःख भी गिरिवत् हो जाता है !' - खलील जिब्रान सन्त-विनोद २
SR No.009848
Book TitleSant Vinod
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarayan Prasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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