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________________ 'विमला' ग्याख्योपेता १९ इसके अनन्तर गई हुई चीज मिलने न मिलने का प्रश्न-ध्वज में गज में और वृष-सिंह में गई चीज का निश्चय करके लाभ कहना और ध्वाक्ष-धूम्र-खर श्वान में निश्चय से हानि अर्थात् अलाभ कहना ॥७॥ नष्ट वस्तु अथात् खो गई वा चोरी हो गई चीज किस जाति ने लिया है उसको लिखते हैं। ध्वज में ब्राह्मण को चोर कहना, धूम्र में क्षत्रिय को, सिंह में वैश्य को खर में सेवक को कहना ॥८॥ गज में दासी को, ध्वांक्ष में स्वामी को अर्थात् मालिक को चोर कहना, वृष में श्वान में अंत्यज अर्थात् शूद्र को चोर कहना ॥ ९ ॥ अथ दिक्षु नष्टवस्तुज्ञानम् ध्वजे पूर्वगतं चैव धूम्र आग्नेय-दिग्गतम् । सिंहे च दक्षिणे चैव नैऋते श्वान एव च ॥ १०॥ पश्चिमे वृषभे ज्ञेयं वायव्यां खरभे तथा। www उत्तरे कुअरे द्रव्यमैशान्यां ध्वांक्षके तथा ॥ ११॥om इसके अनन्तर प्रश्न करने वाला पूछे कि किस दिशा में नष्ट वस्तु गई है, उसके जानने के लिये लिखते हैं-वक्ष संज्ञक आय हो तो पूर्व दिशा में गत वस्तु कहना, धम्र हो तो अग्नि कोण में, सिंह में दक्षिण दिशा में जानना, 'श्वान' संज्ञक आय में नैऋत्य कोण में कहना ॥ १०॥ वृष संज्ञक आय में पश्चिम दिशा में कहना, खर में वायव्य कोण में कहना और कुञ्जर अर्थात् गज संज्ञक आय में उत्तर दिशा में द्रव्य कहना, ध्वांक्ष में ऐशान कोण में कहना ॥ ११ ॥ अथ नष्टस्य स्थानान्तरगतज्ञानम् ऊषरे च ध्वजे नष्टं धने चाग्निगृहे तथा । गतं सिहे तथाऽरण्ये श्वाने स्थानान्तरेऽपि च ॥ १२ ॥ इसके अनन्तर नष्ट वस्तु दूसरे स्थान में किस जगह पर है सो विचार लिखते हैं-ध्वज संज्ञक में ऊसर भूमि में नष्ट वस्तु कहना-धून संज्ञक में अग्निगृह अर्थात् रसोई गृह में कहना, सिंह में गत वस्तु वन में रखा है-ऐसा कहना, श्वान में दूसरे के घर में रखा है ऐसा कहना ॥ १२ ॥ http://www.Apnihindi.com
SR No.009846
Book TitleJyotish Prashna Falganana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayashankar Upadhyay
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1975
Total Pages53
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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