SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 172
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७१ नमो नमो निम्मलदसणस्स ४५ अनुयोगद्वार चूलिकासूत्र-२-हिन्दी अनुवाद [१] ज्ञान के पांच प्रकार हैं । आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्यवज्ञान, केवलज्ञान । [२] इन ज्ञानों में से चार ज्ञान स्थाप्य हैं, स्थापनीय हैं । क्योंकि ये चारों ज्ञान (गुरु द्वारा) उपदिष्ट नहीं होते हैं, समुपदिष्ट नहीं होते हैं और न इनकी आज्ञा दी जाती है । किन्तु श्रुतज्ञान का उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग होता है । [३] यदि श्रुतज्ञान में उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग की प्रवृत्ति होती है तो वह उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग की प्रवृत्ति अंगप्रविष्ट श्रुत में होती है । अथवा अंगबाह्य में होती है ? अंगप्रविष्ट तथा अंगबाह्य दोनो आगम में उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग प्रवर्तित होते हैं । [४] भगवन् ! यदि अंगबाह्य श्रुत में उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग की प्रवृत्ति होती है तो क्या वह कालिकश्रुत में होती है अथवा उत्कालिक श्रुत में ? कालिकश्रुत और उत्कालिक श्रुत दोनो में उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग प्रवृत्त होते हैं, किन्तु यहाँ उत्कालिक श्रुत का उद्देश यावत् अनुयोग प्रारम्भ किया जायेगा | [५] यदि उत्कालिक श्रुत के उद्देश आदि होते हैं तो क्या वे आवश्यक के होते हैं अथवा आवश्यकव्यतिरिक्त के होते हैं ? आयुष्यमन् ! यद्यपि आवश्यक और आवश्यक से भिन्न दोनों के उद्देश आदि होते हैं परन्तु यहाँ आवश्यक का अनुयोग प्रारम्भ किया जा रहा है । [६] यदि यह अनुयोग आवश्यक का है तो क्या वह एक अंग रूप है या अनेक अंग रूप ? एक श्रुतस्कन्ध रूप है या अनेक श्रुतस्कन्ध रूप ? एक अध्ययन रूप है या अनेक अध्ययन रूप ? एक उद्देशक रूप है या अनेक उद्देशक रूप ? आवश्यकसूत्र एक या अनेक अंग रूप नहीं है । एक श्रुतस्कन्ध रूप है । अनेक अध्ययन रूप है । या अनेक उद्देशक रूप नहीं है । [७] आवश्यक का निक्षेप करूंगा । इसी तरह श्रुत, स्कन्ध एवं अध्ययन शब्दों का निक्षेप करूंगा । [८] यदि निक्षेप्ता जिस वस्तु के समस्त निक्षेपों को जानता हो तो उसे उन सबका निरूपण करना चाहिये और यदि न जानता हो तो चार निक्षेप तो करना ही चाहिये । [९] आवश्यक का स्वरूप क्या है ? आवश्यक चार प्रकार का है । नाम-आवश्यक, स्थापना-आवश्यक, द्रव्य-आवश्यक, भाव-आवश्यक | [१०] नाम-आवश्यक का स्वरूप क्या है ? जिस किसी जीव या अजीव का अथवा
SR No.009790
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy