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________________ देवेन्द्रस्तव-९३ वहन २००० देव करते है । वो देव पूर्व में सिंह, दक्षिण में महाकाय हाथी, पश्चिम में बैल और उत्तर में घोड़े के रूप में वहन करते है । [९४] चन्द्र-सूर्य, ग्रह-नक्षत्र और तारे एक-एक से तेज गति से चलते है । [९५] चन्द्र की गति सबसे कम और तारों की गति सबसे तेज है । इस प्रकार ज्योतिष्क देव की गति विशेष जानना । [९६] ऋद्धि में तारे, नक्षत्र, ग्रह, सूर्य, चन्द्र एक एक से ज्यादा ऋद्धिवान् जानना। [९७] सबके भीतर अभिजित नक्षत्र हैं, सबसे बाहर मूल नक्षत्र है । ऊपर स्वाति नक्षत्र है और नीचे भरणी नक्षत्र है । [९८] निश्चय से चन्द्र और सूर्य के बीच सभी ग्रह-नक्षत्र होते है । चन्द्र और सूर्य के बराबर नीचे और ऊपर तारे होते है । [९९-१००] तारो का परस्पर जघन्य अन्तर ५०० धनुष और उत्कृष्ट फाँसला ४००० धनुप (दो गाउ) होता है । व्यवधान की अपेक्षा से तारों का फाँसला जघन्य २६६ योजन और उत्कृष्ट से १२२४२ योजन है । [१०१] इस चन्द्रयोग की ६७ खंडित अहोरात्रि, ९ मुहूर्त और २७ कला होती है। [१०२-१०४] शतभिषा, भरणी, आर्द्रा, आश्लेषा, स्वाति और जयेष्टा यह छह नक्षत्र १५ मुहूर्त संयोगवाले है । तीनो उत्तरा नक्षत्र और पुनर्वसु, रोहिणी, विशाखा यह छह नक्षत्र चन्द्रमा के साथ ४५ मुहूर्त का संयोग करते है । वाकी पंद्रह नक्षत्र चन्द्रमा के साथ ३० मुहूर्त का संयोग करते है इस तरह चन्द्रमा के साथ नक्षत्र का योग जानना । [१०५-१०८] अभिजित नक्षत्र सूर्य के साथ चार अहोरात्री और छ मुहूर्त एक साथ गमन करते है । शतभिषा, भरणी, आर्द्रा, आश्लेषा, स्वाति और जयेष्ठा यह छह नक्षत्र छ अहोरात्रि और २१ मुहूर्त तक सूर्य के साथ भ्रमण करते है । तीन उत्तरा नक्षत्र और पुनर्वसु रोहिणी और विशाखा यह छह नक्षत्र २० अहोरात्रि और तीन मुहूर्त तक सूर्य के साथ भ्रमण करते है । बाकी के १५ नक्षत्र १३ अहोरात्रि और १२ मुहूर्त सूर्य के साथ भ्रमण करते है। [१०९-११०] दो चन्द्र, दो सूर्य, ५६ नक्षत्र, १७६ ग्रह वो सभी जम्बूद्वीप में विचरण करते है । १३३९५० कोडाकोडी तारागण जम्बूद्वीप में होते है । [१११-११२] लवण समुद्र में ४ चन्द्र, ४-सूर्य, ११२ नक्षत्र और ३५२ ग्रह भ्रमण करते है और २६७९०० कोडाकोडी तारागण है । [११३-११४] घातकी खंड में १२ चन्द्र, १२ सूर्य, ३३६ नक्षत्र, १०५६ ग्रह और ८०३७०० कोडाकोडी तारागण होते है । [११५-११७] कालोदधि समुद्र में तेजस्वी किरण से युक्त ४२ चन्द्र, ४२ सूर्य, ११७६ नक्षत्र ३६९६ ग्रह और । २८१२९५० कोडाकोडी तारागण होते है । [११८-१२०] पुष्करवरद्वीप में १४४ चन्द्र, १४४ सूर्य, ४०३२ नक्षत्र, १२६३२ ग्रह ९६,४४४०० कोडाकोडी तारागण विचरण करते है । [१२१-१२३] अर्धपुष्करवरद्वीप में ७२ चन्द्र, ७२ सूर्य, ६३३६ महाग्रह, २०१६ नक्षत्र और ४८२२२०० कोडाकोडी तारागण है । [१२४-१२६] समस्त मानव लोक को १३२ चन्द्र, १३२ सूर्य ११६१६ महाग्रह,
SR No.009788
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size8 MB
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