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________________ १४० आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद भी न करे, (२) समुदाय का काम करे लेकिन मान न करे, मान करे लेकिन समुदाय का काम न करे, दोनों करे, दोनों में से एक भी न करे, (३) समुदाय के लिए संग्रह करे लेकिन मान न करे, मान करे लेकिन समुदाय के लिए संग्रह न करे, दोनों करे, दोनों में से एक भी न करे, (४) गण को शोभायमान करे लेकिन मान न करे, मान करे लेकिन गण की शोभा न करे, दोनों करे, दोनों में से एक भी न करे, (५) गण शुद्धि करे लेकिन मान न करे, मान करे लेकिन गण की शुद्धि न करे, दोनों करे, दोनों में से एक भी न करे, (६) रूप का त्याग करे लेकिन धर्म त्याग न करे, धर्म छोड़ दे लेकिन रूप न छोड़े, दोनों छोड़ दे, दोनों में से कुछ भी न छोड़े, (५) प्रियधर्मी हो लेकिन दृढ़धर्मी न हो, दृढ़धर्मी हो लेकिन प्रियधर्मी न हो, दोनो हो दोनों में से एक भी न हो । [२६०-२६१] चार तरह से आचार्य बताए -(१) प्रवज्या आचार्य लेकिन उपस्थापना आचार्य नहीं, उपस्थापना आचार्य मगर प्रवज्या आचार्य नहीं, दोनों हो, दोनों में से एक भी न हो, (२) उद्देसाचार्य हो लेकिन वांचनाचार्य न हो, वांचनाचार्य हो लेकिन उद्देसाचार्य न हो, दोनों हो, दोनों में से एक भी न हो । [२६२-२६३] चार अन्तेवासी शिष्य बताए है । (१) प्रवज्या शिष्य हो लेकिन उपस्थापना शिष्य न हो, उपस्थापना शिष्य हो लेकिन प्रवज्या शिष्य न हो, दोनो हो, दोनों में से एक भी न हो, (२) उद्देशा करवाए लेकिन वांचना न दे, वांचना दे लेकिन उद्देशा न करवाए, दोनों करवाए, दोनों में से कुछ भी न करवाए । [२६४] तीन स्थविर भूमि बताई है । वय स्थविर, श्रुत स्थविर और पर्याय स्थविर । ६० सालवाले वय स्थविर, ठाण-समवाय के धारक वो श्रुतस्थविर, बीस साल का पर्याय यानि पर्याय स्थविर । [२६५] तीन शिष्य की भूमि कही है । जघन्य को सात रात्रि की, मध्यमवो चार मास की और उत्कृष्ट छ मास की । [२६६-२६७] साधु-साध्वी को लघु साधु या साध्वी जिनको आँठ साल से कुछ कम उम्र है उसकी उपस्थापना या सहभोजन करना न कल्पे, आँठ साल से कुछ ज्यादा हो तो कल्पे । [२६८-२६९] साधु-साध्वी को बाल साधु या बाल साध्वी जिन्हे अभी बगल में बाल भी नहीं आए यानि वैसी छोटी वयवाले को आचार प्रकल्प नामक अध्ययन पढ़ाना न कल्पे, बगल में बाल उगे उतनी वय के होने के बाद कल्पे । [२७०-२८८] जिस साधु का दीक्षा पर्याय तीन साल का हुआ हो उसे आचार प्रकल्प अध्ययन पढ़ाना कल्पे, उसी तरह चार साल के पर्याय से, सूयगड़ो, पाँच साल पर्याय से दसा, कप्प, ववहार, आँठ साल पर्याय से ठाण, समवाय, दश साल पर्याय से विवाह पन्नत्ति यानि भगवई, ११ साल पर्याय से खुड्डियाविमाणपविभती, महल्लियाविमाणपवभित्ती, अंगचूलिया, वग्गचूलिया, विवाहचूलिया, बारह साल पर्याय से अरुणोववाय, गरुलोववाय, धरणोववाय, वेसमणोववाय, वेलंधरोववाय, तेरह साल पर्याय से उठाणसूय, समुठ्ठाणसूय, देविंदोववाय, नागरपरियावणिय, चौदह साल पर्याय से आसिविसभावना, अठ्ठारह साल पर्याय से दिठ्ठीविसभावना, १९ साल पर्याय से दिठिवाय, उस तरह से बीस साल के पर्यायवाले साधु
SR No.009788
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size8 MB
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