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________________ ७० आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद कापोतलेश्यी देवियां हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी विशेषाधिक हैं और उनसे तेजोलेश्यी संख्यातगुणी हैं । भगवन् ! इन देवों और देवियों में ? गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्यी देव हैं, उनसे पद्मलेश्यी असंख्यातगुणे हैं, उनसे कापोतलेश्यी असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कापोतलेश्यी देवियां संख्यातगुणी हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे तेजोलेश्यी देव संख्यातगुणे हैं, उनसे भी तेजोलेश्यी देवियाँ संख्यातगुणी हैं । भगवन् ! इन भवनवासी देवों में ? गौतम ! सबसे कम तेजोलेश्यी भवनवासी देव हैं, उनसे कापोतलेश्यी असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं और उनसे भी कृष्णलेश्यी विशेषाधिक हैं । इसी प्रकार उनकी देवियों का भी अल्पबहुत्व कहना चाहिए । भगवन् ! इन भवनवासी देवों और देवियों में ? गौतम ! सबसे थोड़े तेजोलेश्यी भवनवासी देव हैं, उनसे तेजोलेश्यी भवनवासी देवियां संख्यातगुणी हैं, उनसे कापोतलेश्यी देव असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कापोतलेश्यी भवनवासी देवियां संख्यातगुणी हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषांधिक हैं और उनसे कृष्णलेश्यी विशेषाधिक हैं। भवनवासी देव-देवियों के अल्पबहुत्व समान वाणव्यन्तरों का अल्पबहुत्व कहना । भगवन् ! इन तेजोलेश्यावाले ज्योतिष्क देवों-देवियों में ? सबसे थोड़े तेजोलेश्यी ज्योतिष्क देव हैं, उनसे तेजोलेश्यी ज्योतिष्क देवियां संख्यातगुणी हैं । भगवन् ! इन वैमानिक देवों में ? गौतम ! सबसे कम शुक्ललेश्यी वैमानिक देव हैं, उनसे पद्मलेश्यी असंख्यात गुणे हैं और उनसे भी तेजोलेश्यी असंख्यातगुणे हैं । भगवन् ! इन वैमानिक देवों और देवियों में ? गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्यी वैमानिक देव हैं, उनसे पद्मलेश्यी असंख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्यी असंख्यातगुणे हैं, (उनसे) तेजोलेश्यी वैमानिक देवियां संख्यातगुणी हैं ।। भगवन् ! इन भवनवासी आदि देवो में ? गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्यी वैमानिक देव हैं, उनसे पद्मलेश्यी असंख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्यी असंख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्यी भवनवासी देव असंख्यातगुणे हैं, उनसे कापोतलेश्यी असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे तेजोलेश्या वाले वाणव्यन्तर देव असंख्यातगुणे हैं, उनसे कापोतलेश्यी असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे भी तेजोलेश्यी ज्योतिष्क देव संख्यातगुणे हैं । भगवन् ! इन भवनवासी आदि देवियों में ? गौतम ! सबसे थोड़ी तेजोलेश्यी वैमानिक देवियां हैं, उनसे तेजोलेश्यी भवनवासी देवियाँ असंख्यातगुणी हैं, उनसे कापोतलेश्यी असंख्यातगुणी हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे तेजोलेश्यी वाणव्यन्तर देवियाँ असंख्यातगुणी हैं, उनसे कापोतलेश्यी असंख्यातगुणी हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी विशेषाधिक, उनसे तेजोलेश्यी ज्योतिष्क देवियाँ संख्यातगुणी हैं । भगवन् ! देवों और देवियों में ? गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्यी वैमानिक देव हैं, उनसे पद्मलेश्यी असंख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्यी असंख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्यी वैमानिक देवियाँ संख्यातगुणी हैं, उनसे तेजोलेश्यी भवनवासी देव असंख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्यी भवनवासी देवियाँ संख्यातगुणी हैं, उनसे कापोतलेश्यी भवनवासी देव असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कापोतलेश्यी संख्यातगुणी
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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