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________________ ४८ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद जिह्वेन्द्रिय और स्पर्शेन्द्रिय । भगवन् ! श्रोत्रेन्द्रिय किस आकार की है ? कदम्बपुष्प के आकार की । चक्षुरिन्द्रिय मसूर - चन्द्र के आकार की है । घ्राणेन्द्रिय अतिमुक्तकपुष्प आकार की है । जिह्वेन्द्रिय खुरपे आकार की है । स्पर्शेन्द्रिय नाना प्रकार के आकार की है । भगवन् ! श्रोत्रेन्द्रिय का बाहल्य कितना है ? गौतम ! अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण । इसी प्रकार स्पर्शेन्द्रिय तक समझना । भगवन् ! श्रोत्रेन्द्रिय कितनी पृथु है ? गौतम ! अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण । इसी प्रकार चक्षुरिन्द्रिय एवं घ्राणेन्द्रिय में जानना । जिह्वेन्द्रिय अंगुल - पृथक्त्व विशाल है । भगवन् ! स्पर्शेन्द्रिय के पृथुत्व (विस्तार) के विषय में पृच्छा ( का समाधान क्या है ?) स्पर्शेन्द्रिय शरीरप्रमाण पृथु है । भगवन् ! श्रोत्रेन्द्रिय कितने प्रदेशवाली है ? गौतम ! अनन्त प्रदेशी । इसी प्रकार स्पर्शेन्द्रिय तक कहना । [४२२ ] भगवन् ! श्रोत्रेन्द्रिय कितने प्रदेशों में अवगाढ है ? गौतम ! असंख्यात प्रदेशों में । इसी प्रकार स्पर्शेन्द्रिय तक कहना । भगवन् ! इन पांचो इन्द्रियों में से अवगाहना की अपेक्षा से, प्रदेशों की अपेक्षा से तथा अवगाहना और प्रदेशों की अपेक्षा से कौन, किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? गौतम ! अवगाहना से सबसे कम चक्षुरिन्द्रिय है, ( उससे ) श्रोत्रेन्द्रिय संख्यातगुणी है, ( उससे) घ्राणेन्द्रिय संख्यातगुणी है, ( उससे) जिह्वेन्द्रिय असंख्यातगुणी है, ( उससे) स्पर्शनेन्द्रिय संख्यातगुणी है । प्रदेशों की अपेक्षा से सबसे कम चक्षुरिन्द्रिय है, ( उससे) श्रोत्रेन्द्रिय संख्यातगुणी है, ( उससे) घ्राणेन्द्रिय संख्यातगुणी है, ( उससे) जिह्वेन्द्रिय असंख्यातगुणी है, ( उससे ) स्पर्शनेन्द्रिय संख्यातगुणी है । अवगाहना और प्रदेशों की अपेक्षा से सबसे कम चक्षुरिन्द्रिय है, अवगाहना से श्रोत्रेन्द्रिय संख्यातगुणी है, घ्राणेन्द्रिय अवगाहना से संख्यातगुणी है, जिह्वेन्द्रिय अवगाहना से असंख्यातगुणी है, स्पर्शनेन्द्रिय अवगाहना से संख्यातगुणी है, स्पर्शनेन्द्रिय की अवगाहनार्थता से चक्षुरिन्द्रिय प्रदेशार्थता से अनन्तगुणी है, श्रोत्रेन्द्रिय प्रदेशों से संख्यातगुणी है, घ्राणेन्द्रिय प्रदेशों से संख्यातगुणी है, जिह्वेन्द्रिय प्रदेशों से असंख्यातगुणी है, स्पर्शनेन्द्रिय प्रदेशों से संख्यातगुणी है । भगवन् ! श्रोत्रेन्द्रिय के कर्कश और गुरु गुण कितने हैं ? गौतम ! अनन्त हैं । इसी प्रकार स्पर्शनेन्द्रिय तक कहना । भगवन् ! श्रोत्रेन्द्रिय के मृदु और लघु गुण कितने हैं ? गौतम ! अनन्त हैं । इसी प्रकार (चक्षुरिन्द्रिय से लेकर) स्पर्शनेन्द्रिय तक के मृदु-लघु गुण के विषय में कहना चाहिए 1) भगवन् ! इन पांचो इन्द्रियो के कर्कश-गुरु-गुणों और मृदु-लघु-गुणों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम चक्षुरिन्द्रिय के कर्कश - गुरु-गुण हैं, ( उनसे) श्रोत्रेन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं, ( उनसे) घ्राणेन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं, ( उनसे ) जिह्वेन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं (और उनसे ) स्पर्शनेन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं । मृदु-लघु गुणों मेंसबसे थोड़े स्पर्शनेन्द्रिय हैं, ( उनसे ) जिह्वेन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं, ( उनसे) घ्राणेन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं, ( उनसे ) श्रोत्रेन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं, ( उनसे ) चक्षुरिन्द्रिय के अनन्तगुणे हैं । कर्कशगुरुगुणों और मृदु-लघुगुणों में से सबसे कम चक्षुरिन्द्रिय के कर्कश-गुरुगुण हैं, ( उनसे) श्रोत्रेन्द्रिय
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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