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________________ ३४ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद भगवन् ! (अनेक) नैरयिक स्थितिचरम से चरम हैं अथवा अचरम ? गौतम ! चरम भी है और अचरम भी । ( अनेक) वैमानिक देवों तक इसी प्रकार कहना । भगवन् ! (एक) नैरयिक भवचरभ से चरम है या अचरम ? गौतम ! कथंचित् चरम है और कथंचित् अचरम । (यों) लगातार (एक) वैमानिक तक इसी प्रकार कहना चाहिए । भगवन् ! (अनेक) नैरयिक भवचरम से चरम हैं या अचरम ? गौतम ! चरम भी हैं और अचरम भी । ( अनेक) वैमानिक तक इसी प्रकार समझना । भगवन् ! भाषाचरम से (एक) नैरयिक चरम है या अचरम ? गौतम ! कथंचित् चरम है तथा कथंचित् अचरम । इसी तरह (एक) वैमानिक पर्यन्त कहना । भगवन् ! भाषाचरम से (अनेक) नैरयिक चरम हैं अथवा अचरम हैं ? गौतम ! चरम भी हैं और अचरम भी । एकेन्द्रिय जीवों को छोड़कर वैमानिक तक इसी प्रकार कहना । भगवन् ! (एक) नैरयिक आनापान चरम से चरम है या अचरम ? इसी प्रकार (एक) वैमानिक पर्यन्त कहना । भगवन् ! ( अनेक) नैरयिक आनापानचरम से चरम हैं या अचरम ? गौतम ! चरम भी हैं और अचरम भी । इसी प्रकार ( अनेक) वैमानिक तक कहना । आहारचरम से (एक) नैरयिक कथंचित् चरम है और कथंचित् अचरम । (एक) वैमानिक पर्यन्त इसी प्रकार कहना । ( अनेक) नैरयिक आहारचरम से चरम भी हैं और अचरम भी । वैमानिक देवों तक इसी प्रकार कहना | (एक) नैरयिक भावचरम से कथंचित् चरम और कथंचित् अचरम है । इसी प्रकार (एक) वैमानिक पर्यन्त कहना । ( अनेक) नैरयिक भावचरम से चरम भी हैं और अचरम भी । इसी प्रकार (अनेक) वैमानिकों तक कहना । (एक) नैरयिक वर्णचरम से कथंचित् चरम है और कथंचित् अचरम । इसी प्रकार (एक) वैमानिक पर्यन्त कहना । ( अनेक) नैरयिक वर्णचरम से चरम भी हैं और अचरम भी । इसी प्रकार ( अनेक) वैमानिक तक कहना । (एक) नैरयिक गंधचरम से कथंचित् चरम है और कथंचित् चरम । (एक) वैमानिक पर्यन्त इसी प्रकार कहना । गन्धचरम से ( अनेक ) नैरयिक चरम भी हैं और अचरम भी । इसी प्रकार वैमानिक तक कहना । (एक) नैरयिक रसचरम से कथंचित् चरम है और कथंचित् अचरम । (एक) वैमानिक पर्यन्त इसी प्रकार कहना । ( अनेक ) नैरयिक रसचरम चरम भी हैं और अचरम भी । इसी प्रकार वैमानिक तक ( कहना 1) (एक) नैरयिक स्पर्शचरम से कथंचित् चरम और कथंचित् अचरम । (एक) वैमानिक पर्यन्त इसी प्रकार कहना । ( अनेक ) नैरयिक स्पर्शचरम से चरम भी हैं और अचरम भी । इसी प्रकार अनेक वैमानिक तक कहना । [३७४] गति, स्थिति, भव, भाषा, आनापान, आहार, भाव, वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से चरमादि जानना । पद - १०- का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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