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________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति-१८/-/१३२ २३१ की जघन्य स्थिति औधिक के समान है । सूर्य विमान के देवो की स्थिति चंद्र देवो के समान है, सूर्यविमान के देवी की जघन्य स्थिति औधिक के समान और उत्कृष्ट स्थिति ५०० वर्ष अधिक अर्धपल्योपम है । ग्रहविमान के देवो की स्थिति जघन्य पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट पल्योपम की है; ग्रहविमान के देवी की जघन्य वही है, उत्कृष्ट अर्धपल्योपम की है । नक्षत्र विमान के देवो की स्थिति ग्रहविमान की देवी के समान है और नक्षत्र देवी की स्थिति जघन्य से पल्योपम का आठवां भाग और उत्कृष्ट से पल्योपम का चौथा भाग है । ताराविमान के देवो की स्थिति नक्षत्र देवी के समान है और उनकी देवी की स्थिति जघन्य से पल्योपम का आठवां भाग और उत्कृष्ट से साधिक पल्योपम का आठवां भाग प्रमाण है । [१३३] ज्योतिष्क देवो का अल्पबहुत्व-चंद्र और सूर्य दोनो तुल्य है और सबसे अल्प है, उनसे नक्षत्र संख्यातगुणे है, उनसे ग्रह संख्यात गुणे है, उनसे तारा संख्यात गुणे है । प्राभृत-१८-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण (प्राभृत-१९) [१३४] कितने चंद्र-सूर्य सर्वलोक को प्रकाशित-उद्योतीत तापीत और प्रभासीत करते है । इस विषय में बारह प्रतिपत्तियां है-सर्वलोक को प्रकाशीत यावत् प्रभासीत करनेवाले चंद्र और सूर्य-(१) एक-एक है, (२) तीन-तीन है, (३) साडेतीन-साडेतीन है, (४) सात-सात है, (५) दश-दश है, (६) बारह-बारह है, (७) ४२-४२ है, (८) ७२-७२ है, (९) १४२१४२ है, (१०) १७२-१७२ है, (११) १०४२-१०४२ है, (१२) १०७२-१०७२ है । भगवंत फरमाते है कि इस जंबूद्वीप में दो चंद्र प्रभासीत होते थे-हुए है और होंगे, दो सूर्य तापित करते थे-करते है और करेंगे, ५६ नक्षत्र योग करते थे-करते है और करेंगे, १७६ ग्रह भ्रमण करते थे-करते है और करेंगे, १३३९५० कोडाकोडी तारागण शोभते थे-शोभते है और शोभीत होंगे । [१३५] जंबूद्वीप में भ्रमण करनेवाले दो चंद्र, दो सूर्य, छप्पन नक्षत्र और १७६ ग्रह है । तथा [१३६] १३३९५० कोडाकोडि तारागण है । [१३७] इस जंबूद्वीप को लवण नामक समुद्र धीरे हुए है, वृत्त एवं वलयाकार है, समचक्रवाल संस्थित है उसका चक्रवाल विधाभ दो लाख योजन है, परिधि १५८११३९ योजन से किंचित् न्यून है । इस लवण समुद्र में चार चंद्र प्रभासित हुए थे-होते है और होंगे, चार सूर्य तापित करते थे-करते है और करेंगे, ११२ नक्षत्र योग करते थे-करते है और करेंगे, ३५२ महाग्रह भ्रमण करते थे-करते है और करेंगे, २६७९०० कोडाकोडी तारागण शोभित होते थे-होते है और होंगे । [१३८१५८११३९ योजन से किंचित् न्यून लवण समुद्र का परिक्षेप है । [१३९] लवणसमुद्र में चार चंद्र, चार सूर्य, ११२ नक्षत्र और ३५२ महाग्रह है । [१४०] २६७९०० कोडाकोडी तारागण लवण समुद्र में है ।
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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