SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 168
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूर्यप्रज्ञप्ति - १०/८/५१ १६७ का, कृतिका - अस्त्रेकी धार के आकार का, रोहिणी - गाडा की उंधके आकार का, मृगशीर्षमस्तक की पंक्ति आकार का, आर्द्रा रुधिरबिन्दु आकार का, पुनर्वसू - त्राजवा आकार का, पुष्य- वर्धमानक आकार का, अश्लेषा - पताका आकार का, मघा प्राकार के आकार का, पूर्वा और उत्तरा फाल्गुनी - अर्द्धपलंग आकार का, हस्त- हाथ के आकार का, चित्रा - प्रसन्न मुख स्वाति खीला समान, विशाखा-दामनी आकार का, अनुराधा - एकावलि हार समान, ज्येष्ठा - गजदन्त आकार का, मूल-वींछी की पुंछ के समान, पूर्वाषाढा - हस्तिविक्रम आकार का और उत्तराषाढा नक्षत्र सहनिषद्या आकार से संस्थित होता है । समान, प्राभृत- १० - प्राभृतप्राभृत - ९ [५२] ताराओ का प्रमाण किस तरह का है ? इस अट्ठाइस नक्षत्रो में अभिजीत नक्षत्र तीन तारे है । श्रवणनक्षत्र के तीन, घनिष्ठा के पांच, शतभिषा के सौ, पूर्वा - उत्तरा भाद्रपद के दो, रेवती के बत्रीश, अश्विनी के तीन, भरणी के तीन, कृतिका के छ, रोहिणी के पांच, मृगशिर्ष के तीन, आर्द्रा का एक पुनर्वसु के पांच, पुष्य के तीन, अश्लेषा के छह, मघा के सात, पूर्वा-उत्तरा फाल्गुनी के दो, हस्त के पांच, चित्रा का एक स्वाति का एक, विशाखा के पांच, अनुराधा के चार, ज्येष्ठा के तीन, मूल का एक और पूर्वा तथा उत्तराषाढा नक्षत्र के चार-चार ताराए होते है । प्राभृत-१०- - प्राभृतप्राभृत- १० [ ५३ ] नक्षत्ररूप नेता किस प्रकार से कहे है ? वर्षा के प्रथम याने श्रावण मास को कितने नक्षत्र पूर्ण करते है ? चार, उत्तराषाढा, अभिजीत, श्रवण और घनिष्ठा । उत्तराषाढा चौदह अहोरात्र से, अभिजीत सात अहोरात्र से, श्रवण आठ और घनिष्ठा एक अहोरात्र से स्वयं अस्त होकर श्रावण मास को पूर्ण करते है । श्रावण मास में चार अंगुल पौरुपीछाया से सूर्य वापिस लौटता है, उसके अन्तिमदिनो में दो पाद और चार अंगुल पौरुषी होती है । इसी प्रकार भाद्रपद मास को घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा तथा उत्तराभाद्रपद समाप्त करते है, इन नक्षत्र के क्रमशः अहोरात्र चौद, सात, आठ और एक है, भाद्रपद मास की पौरुषीछाया आठ अंगुल और चरिमदिन की दो पाद और आठ अंगुल । आसो मास को उत्तराभाद्रपद, रेवती और अश्विनी नक्षत्र क्रमशः चौदह, पन्द्रह और एक अहोरात्र से पूर्ण करते है, पौरुषी छाया प्रमाण बारह अंगुल और अन्तिमदिन का तीन पाद । कार्तिक मास को अश्विनी, भरणी और कृतिका क्रमशः चौद, पन्द्रह और एक अहोरात्र से पूर्ण करते है, पौरुपी छाया प्रमाण सोलह अंगुल और अन्तिमदिन का तीनपाद चार अंगुल । हेमन्त के प्रथम याने मागशिर्ष मास को कृतिका, रोहिणी और संस्थान (मृगशिप) नक्षत्र क्रमशः चौदह, पन्द्रह और एक अहोरात्र से स्वयं अस्त होकर पूर्ण करते है, मागशिर्ष मास की पौरुषीछाया का प्रमाण है बीस अंगुल और उसके अन्तिम दिन का पौरुषीछाया प्रमाण त्रिपाद एवं आठ अंगुल है । पौष मास को मृगशिर्ष, आर्द्रा, पुनर्वसु और पुष्य क्रमशः चौद, सात, आठ और एक अहोरात्र से पूर्ण करते है, पौरुपी छाया प्रमाण चौवीस अंगुल और अन्तिम दिन का चारपादा माघ मास को पुष्य, आश्लेषा और मघा नक्षत्र क्रमशः चौदह, पन्द्रह और एक अहोरात्र से पूर्ण करते है, पौरुषीछाया प्रमाण बीस अंगुल और अन्तिम दिन का त्रिपाद - आठ अंगुल । फाल्गुन मास को मघा, पूर्वा
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy