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________________ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद तैजससमुद्घात वाले संख्यातगुणा हैं, उनसे वैक्रियसमुद्घात वाले संख्यातगुणा हैं, उनसे मारणान्तिकसमुद्घात वाले असंख्यातगुणा हैं, उनसे वेदनासमुद्घात वाले असंख्यातगुणा है तथा उनसे कषायसमुद्घात वाले संख्यातगुणा हैं और इन सबसे असमवहत मनुष्य असंख्यातगुणा हैं । वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिकों के ( समुद्घात विषयक अल्पबहुत्व की वक्तव्यता) असुरकुमारों के समान ( समझनी चाहिए ।) [६०९] भगवन् ! कषायसमुद्घात कितने हैं ? गौतम ! चार, क्रोधसमुद्घात, मानससमुद्घात, मायासमुद्घात और लोभसमुद्घात ! नारकों के कितने कषायसमुद्घात हैं ? गौतम ! चारों हैं । इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना । एक-एक नारक के कितने क्रोधसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! अनन्त । भावी कितने होते हैं ? गौतम ! किसी के होते हैं, किसी के नहीं । जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो अथवा तीन और उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात अथवा अनन्त होते हैं । इस प्रकार वैमानिक तक समझना । इसी प्रकार लोभसमुद्धात तक समझना । ये चार दण्डक हुए । १४० (बहुत) नैरयिकों के कितने क्रोधसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! अनन्त । भावी क्रोधसमुद्घात कितने होते हैं ? वे भी अनन्त । इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना । इसी प्रकार लोभसमुद्घात तक समझना । भगवन् ! एक-एक नैरयिक के नारकपर्याय में कितने क्रोधसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! वे अनन्त हुए हैं । वेदनासमुद्घात के समान क्रोधसमुद्घात का भी वैमानिकपर्याय तक कहना । इसी प्रकार मानसमुद्घात एवं मायासमुद्घात में मारणान्तिकसमुद्घात समान कहना । लोभसमुद्घात कषायसमुद्घात के समान कहना । विशेष यह कि असुरकुमारआदि का नारकपर्याय में लोभकषायसमुद्घात की प्ररूपणा एक से लेकर करना । नारकों के नारकपर्याय में कितने क्रोधसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! अनन्त, भावि भी अनन्त होते है । इसी प्रकार वैमानिकपर्याय तक कहना इसी प्रकार स्वस्थान - परस्थानों में सर्वत्र लोभसमुद्घात तक यावत् वैमानिकों के वैमानिकपर्याय तक कहना । [ ६१० ] भगवन् ! क्रोध, मान, माया और लोभसमुद्घात से तथा अकषायसमुद्घात से समवहत और असमवहत जीवों से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम अकषायसमुद्घात से समवहत जीव हैं, उनसे मानकषायवाले अनन्तगुणे हैं, उनसे क्रोधसमुद्घात वाले विशेषाधिक हैं, उनसे मायासमुद्घात वाले विशेषाधिक हैं, उनसे लोभसमुद्घातवाले विशेषाधिक हैं और ( इन सबसे) असमवहत जीव संख्यातगुणा हैं । इन क्रोध, मान, माया और लोभसमुद्घात से समवहत और असमवहत नारकों में अल्पबहुत्वगौतम ! सबसे कम लोभसमुद्घात से समवहत नारक हैं, उनसे संख्यातगुणा मायासमुद्घातवाले हैं, उनसे संख्यातगुणा मानसमुद्घातवाले हैं, उनसे संख्यातगुणा क्रोधसमुद्घात वाले और इन सबसे संख्यातगुणा असमवहत नारक हैं । क्रोधादिसमुद्घात से समवहत और असमवहत असुरकुमारों में ? गौतम ! सबसे थोड़े क्रोधसमुद्घात से समवहत असुरकुमार हैं, उनसे मानसमुद्घाती संख्यातगुणा हैं, उनसे मायासमुद्घाती संख्यातगुणा हैं और उनसे लोभसमुद्घाती संख्यातगुणा हैं तथा इन सबसे असमवहत असुरकुमार संख्यातगुणा हैं । इसी प्रकार वैमानिकों तक सर्वदेवों को जानना । क्रोधादिसमुद्घात से समवहत और असमवहत पृथ्वीकायिकों में ? गौतम ! सबसे कम मानसमुद्घात से समवहत पृथ्वीकायिक हैं, उनसे क्रोधसमुद्घाती विशेषाधिक
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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