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________________ ३४ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद असंख्यातवां भाग है । संहरण की अपेक्षा जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट देशोनपूर्वकोटि अधिक पल्योपम का असंख्यातवां भाग । भगवन् ! देवस्त्री देवस्त्री के रूप में कितने काल तक रह सकती है ? गौतम ! जो उसकी भवस्थिति है, वही उसका अवस्थानकाल है । [५७] भगवन् ! स्त्री के पुनः स्त्री होने में कितने काल का अन्तर होता है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहूर्त और उत्कर्ष से अनन्तकाल अर्थात् वनस्पतिकाल । ऐसा सब तिर्यंचस्त्रियों में कहना । मनुष्यस्त्रियों का अन्तर क्षेत्र की अपेक्षा जघन्य से अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल । धर्माचरण की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अनन्तकाल यावत् देशोन अपार्धपुद्गलपरावर्तन । इसी प्रकार यावत् पूर्वविदेह और पश्चिमविदेह की मनुष्यस्त्रियों को जानना । भंते ! अकर्मभूमिक मनुष्यस्त्रियों का अन्तर कितना है ? गौतम ! जन्म की अपेक्षा जघन्य अन्तर्मुहूर्त अधिक दस हजार वर्ष और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल । संहरण की अपेक्षा से जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल । इस प्रकार यावत् अन्तर्वीपों की स्त्रियों का अन्तर कहना । सभी देविस्त्रियों का अन्तर जघन्य से अन्तर्मुहर्त और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है । [५८] हे भगवन् ! इन स्त्रियों में कौन किससे अल्प है, अधिक है, तुल्य है या विशेषाधिक है ? गौतम ! सबसे थोड़ी मनुष्यस्त्रियां, उनसे तिर्यक्योनिक स्त्रियां असंख्यातगुणी, उनसे देवस्त्रियां असंख्यातगुणी हैं । भगवन् ! इन तिर्यक्योनि में कौन किससे अल्प, अधिक, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़ी खेचर तिर्यक्योनि की स्त्रियाँ, उनसे स्थलचर तिर्यक्योनि की स्त्रियां संख्यात गुणी, उनसे जलचर तिर्यक्योनि की स्त्रियां संख्यातगुणी हैं । हे भगवन् ! कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक और अंतरद्वीप की मनुष्य स्त्रियों में ? गौतम ! सबसे थोड़ी अंतर्दीपों की मनुष्यस्त्रियां, उनसे देवकुरु-उत्तरकुरु-अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे हरिवास-रम्यकवास-अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे हेमवत और एरण्यवत अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे भरत-एरवत क्षेत्र की कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे पूर्वविदेह-पश्चिमविदेह कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं । - भगवन् ! भवनवासी, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवस्त्रियों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं । गौतम ! सबसे थोड़ी वैमानिक देवियां, उनसे भवनवासी देवियां असंख्यातगुणी, उनसे वानव्यन्तरदेवियां असंख्यातगुणी, उनमें ज्योतिष्कदेवियां संख्यातगुणी हैं । पांचवा अल्पबहुत्व यह है ? गौतम ! सबसे थोड़ी अकर्मभूमि की अन्तर्वीपों की मनुष्यस्त्रियां, उनसे देवकुरु-उत्तरकुरु की अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी; उनसे हरिवास-रम्यकवास अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी, उनसे हैमवत-हैरण्यवत अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी; उनसे भरत-ऐस्वत कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी, उनसे पूर्वविदेह और पश्चिमविदेह कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यात गुणी, उनसे वैमानिकदेवियां असंख्यातगुणी, उनसे भवनवासीदेवियां असंख्यातगुणी, उनसे
SR No.009785
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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