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________________ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद २२ और कुहण । [२४] वृक्ष किसे कहते हैं ? वृक्ष दो प्रकार के हैं - एक बीज वाले और बहुत बीज वा । एक बीज वाले कौन हैं ? एक बीज वाले अनेक प्रकार के हैं, नीम, आम, जामुन यावत् पुन्नाग नागवृक्ष, श्रीपर्णी तथा अशोक तथा और भी इसी प्रकार के अन्य वृक्ष । इनके मूल असंख्यात जीव वाले हैं, कंद, स्कंध, त्वचा, शाखा, प्रवाल, पत्ते ये प्रत्येक - एक-एक जीव वाले हैं, इनके फूल अनेक जीव वाले हैं, फल एक बीज वाले हैं । बहुबीज वृक्ष कौन से हैं? बहुबीज वृक्ष अनेक प्रकार के हैं, अस्तिक, तेंदुक, अम्बर, कबीठ, आंवला, पनस, दाडिम, न्यग्रोध, कादुम्बर, तिलक, लकुच (लवक), लोध्र, धव और अन्य भी इस प्रकार के वृक्ष । इनके मूल असंख्यात जीव वाले यावत् फल बहुबीज वाले हैं। [२५] वृक्षों के संस्थान नाना प्रकार के हैं । ताल, सरल और नारीकेल वृक्षों के पत्ते और स्कंध एक-एक जीव वाले होते हैं । [२६] जैसे श्लेष द्रव्य से मिश्रित अखण्ड सरसों की बनाई हुई बट्टी एकरूप होती है किन्तु उसमें दाने अलग-अलग होते हैं । इसी तरह प्रत्येकशरीरियों के शरीरसंघात होते हैं । [२७] जैसे तिलपपड़ी में बहुत सारे अलग-अलग तिल मिले हुए होते हैं उसी तरह प्रत्येकशरीरियों के शरीरसंघात अलग-अलग होते हुए भी समुदाय रूप होते हैं । [२८] यह प्रत्येकशरीर बादरवनस्पतिकायिकों का वर्णन हुआ । [२९] साधारण बादर वनस्पतिकाय क्या है ? वे अनेक प्रकार के है । आलू, मूला, अदरख, हिरिलि, सिरिलि, सिस्सिरिली, किट्टिका, क्षीरिका, क्षीरविडालिका, कृष्णकन्द, वज्रकन्द, सूरणकन्द, खल्लूट, कृमिराशि, भद्र, मुस्तापिंड, हरिद्रा, लोहारी, स्निहु, स्तिभु, अश्वकर्णी, सिंहकर्णी, सिकुण्डी, मुषण्डी और अन्य भी इस प्रकार के साधारण वनस्पतिकायिक- अंक, पलक, सेवाल आदि जानना । ये संक्षेप से दो प्रकार के हैं, पर्याप्त और अपर्याप्त । -भगवन् इन जीवो के कितने शरीर है ? गौतम ! तीन, औदारिक, तैजस और कार्मण । इस प्रकार सब कथन बादर पृथ्वीकायिकों की तरह जानना । विशेषता यह है कि इनके शरीर की अवगाहना जघन्य से अंगुल का असंख्यातवाँ भाग और उत्कृष्ट से एक हजार योजन से कुछ अधिक है । इनके शरीर के संस्थान अनियत हैं, स्थिति जघन्य से अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट दस हजार वर्ष की है । यावत् ये दो गति में जाते हैं और तीन गति से आते हैं । प्रत्येक वनस्पति जीव असंख्यात हैं और साधारणवनस्पति के जीव अनन्त कहे गये हैं । [३०] त्रसों का स्वरूप क्या है ? त्रस तीन प्रकार के हैं, यथा-तेजस्काय, वायुकाय और उदारत्रस । [३१] तेजस्काय क्या है ? तेजस्काय दो प्रकार के हैं, सूक्ष्मतेजस्काय और बादरतेजस्काय । [३२] सूक्ष्म तेजस्काय क्या हैं ? सूक्ष्म तेजस्काय सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों की तरह समझना । विशेषता यह है कि इनके शरीर का संस्थान सूइयों के समुदाय के आकार का जानना । ये जीव तिर्यंचगति में ही जाते हैं और तिर्यंच और मनुष्यों से आते हैं । ये जीव प्रत्येकशरीर वाले हैं और असंख्यात हैं । 1
SR No.009785
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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