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________________ १७६ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद [९१] सिंघाड़े का गुच्छ अनेक जीव वाला है, और इसके पत्ते प्रत्येक जीव वाले हैं। इसके फल में दो-दो जीव हैं । [९२] जिस मूल को भंग करने पर समान दिखाई दे, वह मूल अनन्त जीव वाला है। इसी प्रकार के दूसरे मूल को भी अनन्तजीव समझना । [९३] जिस टूटे हुए कन्द का भंग समान दिखाई दे, वह कन्द अनन्तजीव वाला है। इसी प्रकार के दूसरे कन्द को भी अनन्तजीव समझना । [९४] जिस टूटे हुए स्कन्ध का भंग समान दिखाई दे, वह अनन्तजीव वाला है । इसी प्रकार के दूसरे स्कन्धों को भी अनन्तजीव समझना । [९५] जिस छाल के टूटने पर उसका भंग मम दिखाई दे, वह छाल भी अनन्तजीव वाली है । इसी प्रकार की अन्य छाल भी अनन्तजीव समझना । [९६] जिस टूटी हुई शाखा का भंग समान दृष्टिगोचर हो, वह अनन्तजीव है । इसी प्रकार की अन्य (शाखाएँ) (भी अनन्तजीव समझो) । [९७] टूटे हुए जिस प्रवाल का भंग समान दीखे, वह अनन्तजीव है । इसी प्रकार के जितने भी अन्य (प्रवाल) हों, (उन्हें अनन्तजीव समझो) । [९८] टूटे हुए जिस पत्ते का भंग समान दिखाई दे, वह अनन्तजीव है । इसी प्रकार जितने भी अन्य पत्र हों, उन्हें अनन्तजीव वाले समझो । [९९] टूटे हुए जिस फूल का भंग समान दिखाई दे, वह भी अनन्तजीव है । इसी प्रकार के अन्य पुष्प को भी अनन्तजीव समझो । [१००] जिस टूटे हुए फल का भंग सम दिखाई दे, वह फल अनन्त जीव है । इसी प्रकार के अन्य फल को भी अनन्तजीव समझो । [१०१] जिस टूटे हुए बीज का भंग समान दिखाई दे, वह अनन्तजीव है । इसी प्रकार के अन्य बीज को भी अनन्तजीव वाले समझो । [१०२] टूटे हुए जिस मूल का भंग विषमभेद दिखाई दे, वह मूल प्रत्येक जीव वाला है । इसी प्रकार के अन्य मूल को भी प्रत्येकजीव समझो । [१०३] टूटे हुए जिस कन्द के भंग-प्रदेश में विषमछेद दिखाई दे, वह कन्द प्रत्येक जीव है । इसी प्रकार के अन्य कन्द को भी प्रत्येकजीव समझो । [१०४] टूटे हुए जिस स्कन्ध के भंगप्रदेश में हीर दिखाई दे, वह स्कन्ध प्रत्येकजीव है । इसी प्रकार के और भी स्कन्ध को (भी प्रत्येकजीव समझो ।) । [१०५] जिस छाल टूटने पर उनके भंग में हीर दिखाई दे, वह छाल प्रत्येक जीव है। इसी प्रकार की अन्य छाले को भी प्रत्येकजीव समझो ।। [१०६] जिस शाखा के टूटने पर उनके भंग में विषमछेद दीखे, वह शाखा प्रत्येक जीव है । इसी प्रकार की अन्य शाखाएँ को भी प्रत्येकजीव समझो । [१०७] जिस प्रवाल के टूटने पर उसके भंगप्रदेश में विषमछेद दिखाई दे, वह प्रवाल प्रत्येकजीव है । इसी प्रकार के और भी प्रवाल को प्रत्येकजीव समझो । [१०८] जिस टूटे हुए पत्ते के भंगप्रदेश में विषमछेद दिखाई दे, वह पत्ता प्रत्येकजीव है । इसी प्रकार के और भी पत्ते को प्रत्येकजीव समझो ।
SR No.009785
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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