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________________ १७४ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद [५८] और जितनी भी इस प्रकार की हैं, (उन्हें लता समझना चाहिए ।) वे वल्लियां किस प्रकार की होती हैं ? अनेक प्रकार की हैं । वे इस प्रकार हैं [५९] पूसफली, कालिंगी, तुम्बी, त्रपुषी, एलवालुकी, घोषातकी, पटोला, पंचांगुलिका, नालीका । तथा [६०] कंगूका, कुद्दकिका, कर्कोटकी, कारवेल्लकी, सुभगा, कुवधा, वागली, पापवल्ली, देवदारु । तथा [६१] अपफोया, अतिमुक्तका, नागलता, कृष्णसूरवल्ली, संघट्टा, सुमनसा, जासुवन, कुविन्दवल्ली । तथा [६२] मुद्वीका, अप्पा, भल्ली, क्षीरविराली, जीयंती, गोपाली, पाणी, मासावल्ली, गुंजावल्ली, वच्छाणी । तथा [६३] शशबिन्दु, गोत्रस्पृष्टा, गिरिकर्णकी, मालुका, अंजनकी, दहस्फोटकी, काकणी, मोकली तथा अर्कबोन्दी । [६४] इसी प्रकार की अन्य जितनी भी (वनस्पतियां हैं, उन सबको वल्लियां समझना। वे पर्वक (वनस्पतियां) किस प्रकार की हैं ? अनेक प्रकार की हैं । [६५] इक्षु, इक्षुवाटी, वीरण, एक्कड़, भमास, सूंठ, शर, वेत्र, तिमिर, शतपर्वक, नल। [६६] वंश, वेलू, कनक, कंकावंश, चापवंश, उदक, कुटज, विमक, कण्डा, वेलू और कल्याण । [६७] और भी जो इसी प्रकार की वनस्पतियाँ हैं, (उन्हें पर्वक में ही समझनी चाहिए)। वे तृण कितने प्रकार के हैं ? अनके प्रकार के हैं । [६८] सेटिक, भक्तिक, होत्रिक, दर्भ, कुश, पर्वक, पोटकिला, अर्जुन, आषाढ़क, रोहितांश, शुकवेद, क्षीरतुष । [६९] एरण्ड कुरुविन्द, कक्षट, सूंठ, विभंगू, मधुरतृण, लवणक, शिल्पिक और सुंकलीतृण । [७०] जो अन्य इसी प्रकार के हैं (उन्हें भी तृण समझना चाहिए) । वे वलय (जाति की वनस्पतियां) किस प्रकार की हैं । अनेक प्रकार की हैं । [७१] ताल, तमाल, तर्कली, तेतली, सार, सार-कल्याण, सरल, जावती, केतकी, कदली, धर्मवृक्ष । तथा [७२] भुजवृक्ष, हिंगुवृक्ष, लवंगवृक्ष । पूगफली, खजूर और नालिकेरी | [७३] यह और ईस प्रकार की अन्य वनस्पति को वलय समझना । वे हरित (वनस्पतियां) किस प्रकार की हैं ? अनेक प्रकार की हैं । [७४] अद्यावरोह, व्युदान, हरितक, तान्दुलेयक, तृण, वस्तुल, पारक, मार्जार, पाती, बिल्वी, पाल्यक । [७५] दकपिप्पली, दर्वी, स्वस्तिक शक, माण्डुकी, मूलक, सर्षप, अम्लशाक और जीवान्तक । तथा [७६] तुलसी, कृष्ण, उदार, फाणेयक, आर्यक, भुजनक, चोरक, दमनक, मरुचक,
SR No.009785
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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