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________________ १७ नमो नमो निम्मलदसणस्स |५३-भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति अंगसूत्र-५/३-हिन्दी अनुवाद - शतक-३० उद्देशक-१ [९९८] भगवन् समवसरण कितने कहे हैं ? गौतम ! चार, यथा-क्रियावादी, अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी । भगवन् ! जीव क्रियावादी हैं, अक्रियावादी हैं, अज्ञानवादी हैं अथवा विनयवादी हैं ? गौतम ! जीव क्रियावादी भी हैं, अक्रियावादी भी हैं, अज्ञानवादी भी हैं और विनयवादी भी हैं । भगवन् ! सलेश्य जीव क्रियावादी भी हैं ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! सलेश्य जीव क्रियावादी भी हैं यावत् विनयवादी भी हैं । इस प्रकार शुक्ललेश्यावाले जीव पर्यन्त जानना। भगवन् ! अलेश्य जीव क्रियावादी हैं ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वे क्रियावादी हैं । भगवन् ! कृष्णपाक्षिक जीव क्रियावादी हैं ? गौतम ! कृष्णपाक्षिक जीव अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी हैं । शुक्लपाक्षिक जीवों को सलेश्य जीवों के समान जानना । सम्यग्दृष्टि जीव, अलेश्य जीव के समान है । मिथ्यादृष्टि जीव, कृष्णपाक्षिक जीवों के समान हैं । भगवन् ! सम्यगमिथ्या दृष्टि जीव क्रियावादी हैं । इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वे अज्ञानवादी और विनयवादी हैं । ज्ञानी यावत् केवलज्ञानी जीव, अलेश्य जीवों के तुल्य हैं । अज्ञानी यावत् विभंगज्ञानी जीव, कृष्णपाक्षिक जीवों के समान है । आहारसंज्ञोपयुक्त यावत् परिग्रहसंज्ञोपयुक्त जीव सलेश्य जीवों के समान हैं । नोसंज्ञोपयुक्त जीवों का कथन अलेश्य जीवों के समान है । सवेदी से लेकर नपुंसकवेदी जीव तक सलेश्य जीवों के सदृश हैं । अवेदी जीवों अलेश्य जीवों के तुल्य है । सकषायी यावत् लोभकषायी जीवों सलेश्य जीवों के समान है । अकषायी जीवों अलेश्य जीवों के सदृश है । सयोगी से लेकर काययोगी पर्यन्त जीवों सलेश्य जीवों के समान है । अयोगी जीव, सलेश्य जीवों के समान हैं । साकारोपयुक्त और अनाकारोपयुक्त जीव, सलेश्य जीवों के तुल्य हैं । भगवन् ! नैरयिक क्रियावादी हैं ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वे क्रियावादी यावत् विनयवादी भी होते हैं । भगवन् ! सलेश्य नैरयिक क्रियावादी होते हैं ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वे क्रियावादी यावत् विनयवादी भी हैं । इसी प्रकार कापोतलेश्य नैरयिकों तक जानना। कृष्णपाक्षिक नैरयिक क्रियावादी नहीं हैं । इसी प्रकार और इसी क्रम से सामान्य जीवों की वक्तव्यता समान अनाकारोपयुक्त तक वक्तव्यता कहना । विशेष यह है कि जिसके जो हो, वही कहना चाहिए, शेष नहीं कहना चाहिए । नैरयिकों समान स्तनितकुमार पर्यन्त कहना । _ भगवन् ! क्या पृथ्वीकायिक क्रियावादी होते हैं ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! वे
SR No.009783
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
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