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________________ ८४ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद पुद्गलास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होते हैं ? (गौतम !) अनन्त प्रदेशों से । (भगवन् !) अद्धाकाल के कितने समयों से स्पृष्ट होते हैं ? (गौतम !) कदाचित् स्पृष्ट होते हैं, कदाचित् स्पृष्ट नहीं होते, यावत् अनन्त समयों से स्पृष्ट होते हैं । भगवन् ! पुद्गलास्तिकाय के असंख्यात प्रदेश धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होते हैं ? गौतम ! जघन्य पद में उन्हीं असंख्यात प्रदेशों को दुगुने करके उनमें दो रूप अधिक जोड़ दें, उतने प्रदेशों से स्पृष्ट होते हैं और उत्कृष्ट पद में उन्हीं असंख्यात प्रदेशों को पांच गुण करके उनमें दो रूप अधिक जोड़ दें, उतने प्रदेशों से स्पृष्ट होते हैं । शेष सभी वर्णन संख्यात प्रदेशों के समान जानना चाहिए, यावत् नियमतः अनन्त प्रदेशों से स्पृष्ट होते हैं, (यहाँ तक कहना चाहिए ।) भगवन् ! पुद्गलास्तिकाय के अनन्त प्रदेश धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होते हैं ? (गौतम !) असंख्यात प्रदेशों के अनुसार कथन करना चाहिए । भगवन् ! अद्धाकाल का एक समय धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होता है ? सात प्रदेशों से । (भगवन् !) अधर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से ? पूर्ववत् जानना । इसी प्रकार आकाशास्तिकाय के प्रदेशों से भी (कहना ।) जीवास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होता है ? (गौतम !) अनन्त प्रदेशों से । इसी प्रकार यावत् अनन्त अद्धासमयों से स्पृष्ट होता है । भगवन् ! धर्मास्तिकाय द्रव्य, धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होता है ? गौतम ! वह एक भी प्रदेश से स्पृष्ट नहीं होता । (भगवन् ! वह) धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होता है ? (गौतम !) असंख्येय प्रदेशों से । (भगवन् ! वह) आकाशास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होता है ? (गौतम !) असंख्येय प्रदेशों से । (भगवन् ! वह) जीवास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होता है ? (गौतम !) अनन्त प्रदेशों से । (भगवन् ! वह) पुद्गलास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होता है ? (गौतम!) अनन्त प्रदेशों से । (भगवन् !) अद्धाकाल के कितने समयों से स्पृष्ट होता है ? (गौतम ! वह) कदाचित् स्पृष्ट होता है, और कदाचित् नहीं होता । यदि स्पृष्ट होता है तो नियमतः अनन्त समयों से । भगवन् ! अधर्मास्तिकाय द्रव्य धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होता है ? (गौतम !) असंख्यात प्रदेशों से । भगवन् ! वह अधर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट होता है ? गौतम ! वह उसके एक भी प्रदेश से (स्पृष्ट नहीं होता ।) शेष सभी (द्रव्यों के प्रदेशों) से स्पर्शना के विषय के धर्मास्तिकाय के समान (जानना चाहिए ।) इसी प्रकार सभी द्रव्य स्वस्थान में एक भी प्रदेश से स्पृष्ट नहीं होते, (किन्तु) परस्थान में आदि के तीनों के असंख्यात प्रदेशों से स्पर्शना कहना, पीछे के तीन स्थानों के अनन्त प्रदेशों से स्पर्शना अद्धासमय तक कहना । (यथा-) “अद्धाकाल, कितने अद्धासमयों से स्पृष्ट होता है ?" एक भी समय से स्पृष्ट नहीं होता । [५८०] भगवन् ! जहाँ धर्मास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ है, वहाँ धर्मास्तिकाय के दूसरे कितने प्रदेश अवगाढ हैं ? गौतम ! दूसरा एक भी प्रदेश अवगाढ नहीं है । भगवन् ! वहाँ अधर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ हैं ? (गौतम !) वहाँ एक प्रदेश अवगाढ होता है । (भगवान् ! वहाँ) आकाशास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? (गौतम !) एक प्रदेश अवगाढ होता है । (भगवन् !) जीवास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते हैं ? (गौतम !) अनन्त प्रदेश अवगाढ होते हैं । (भगवन् ! वहाँ) पुद्गलास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ होते
SR No.009782
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size18 MB
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