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________________ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद तक जानना चाहिए । परन्तु इतनी विशेषता है कि वायुकायिक, औदारिक, वैक्रिय और तैजस, पुद्गलों की अपेक्षा पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श वाले कहे हैं । शेष नैरयिकों के समान जानना चाहिए | पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों का कथन भी वायकायिकों के समान जानना चाहिए । भगवन् ! मनुष्य कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाले हैं ? गौतम! औदारिक, वैक्रिय, आहारक और तैजस पुद्गलों की अपेक्षा (मनुष्य) पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श वाले कहे हैं । कार्मणपुद्गल और जीव की अपेक्षा से नैरयिकों के समान (कथन करना चाहिए ।) वाणव्यन्तर, ज्योतिषी और वैमानिकों के विषय में भी नैरयिकों के समान कथन करना चाहिए। धर्मास्तिकाय यावत् पुद्गलास्तिकाय वर्णादि से रहित हैं । विशेष यह है कि पुद्गलास्तिकाय में पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श कहे हैं । ज्ञानावरणीय (से लेकर) अन्तराय कर्म तक आठों कर्म, पांच वर्ण, दो गन्ध पांच रस और चार स्पर्श वाले कहे हैं । भगवन् ! कृष्णलेश्या में कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श कहे हैं ? गौतम ! द्रव्यलेश्या की अपेक्षा से उसमें पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श कहे हैं और भावलेश्या की अपेक्षा से वह वर्णादि रहित है । इसी प्रकार शुक्ललेश्या तक जानना चाहिए । सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि और सम्यमिथ्यादृष्टि, तथा चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्श, अवधिदर्शन और केवलदर्शन, आभिनिबोधिकज्ञान से लेकर विभंगज्ञान (तक एवं) आहारसंज्ञा यावत् परिग्रहसंज्ञा, ये सब वर्णरहित गन्धरहित, रसरहित, और स्पर्शरहित हैं । औदारिकशरीर यावत् तैजसशरीर, ये अष्टस्पर्श वाले हैं । कार्मणशरीर, मनोयोग और वचनयोग, ये चार स्पर्श वाले हैं । काययोग अष्टस्पर्श वाला है । साकार और अनाकारोपयोग, वर्णादि से रहित हैं । भगवन् ! सभी द्रव्य कितने वर्णादि वाले हैं ? गौतम ! सर्वद्रव्यों में से कितने ही पाँच वर्ण यावत् आठ स्पर्श वाले हैं । कितने ही पांच वर्ण यावत् चार स्पर्श वाले हैं । सर्वद्रव्यों में से कुछ (द्रव्य) एक वर्ण, एक गन्ध, एक रस और दो स्पर्श वाले हैं । सर्वद्रव्यों में से कई वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से रहित हैं । इसी प्रकार सभी प्रदेश और समस्त पर्यायों के विषय में भी उपर्युक्त विकल्पों का कथन करना । अतीतकाल (अद्धा) वर्ण रहित यावत् स्पर्शरहित कहा गया है । इसी प्रकार अनागतकाल और समस्त काल है। [५४४] भगवन् ! गर्भ में उत्पन्न होता हुआ जीव, कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाला होता है ? गौतम ! पांच वर्ण, दो गन्ध, पांच रस और आठ स्पर्श वाले परिणाम से परिणत होता है । [५४५] भगवन् ! क्या जीव कर्मों से ही मनुष्य-तिर्यञ्च आदि विविध रूपों को प्राप्त होता है, कर्मों के बिना नहीं ? तथा क्या जगत् कर्मों से विविध रूपों को प्राप्त होता है, विना कर्मों के प्राप्त नहीं होता? हाँ, गौतम ! कर्म से जीव और जगत् विविध रूपों को प्राप्त होता है, किन्तु कर्म के विना प्राप्त नहीं होते । 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है' । | शतक-१२ उद्देशक-६ | [५४६] राजगृह नगर में यावत् गौतम स्वामी ने प्रश्न किया-भगवन् ! बहुत से मनुष्य परस्पर इस प्रकार कहते हैं, यावत् इस प्रकार प्ररूपणा करते हैं कि निश्चित ही राहु चन्द्रमा को ग्रस
SR No.009782
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size18 MB
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